सिकंदरा में अकबर के मकबरे के बगल में स्थित वर्गाकार कांच महल मुगल वास्तुशिल्प की विशेषताओं का जीता-जागता उदाहरण है। रिकॉर्ड से पता चलता है कि इसका निर्माण 1605 से 1619 के बीच किया गया था। इसके निर्माण में टाइल्स का भरपूर स्तेमाल हुआ है, इसलिए इसे कांच महल कहा जाता है। इसका बाहरी हिस्सा पलास्टर के जरिए नक्काशीदार लाल पत्थर से जड़ा हुआ है।
इसमें कई वृत्ताकार स्थान है, जिसमें मदिरा रखने के बर्तन, फूल की लताएं और ज्यामितीय डिजाइन बनी हुई हैं। कांच महल का निर्माण पहले शाही औरतों के हरम (रहने का स्थान) के तौर पर किया गया था। बाद में जहांगीर ने इसका इस्तेमाल शिकार घर के रूप में किया।
इस दो मंजिला महल में इसके चारों दिशाओं में वर्गाकार कमरे बने हुए हैं। मुख्य हॉल में बिना किसी रुकावट के सूरज की रोशनी और हवा के पहुंचने के लिए दो रास्ते बनाए गए हैं। कमरे में झरोखे और बालकॉनी भी है, जिससे न सिर्फ इसकी खूबसूरती में इजाफा होता है, बल्कि यह वेंटिलेशन का भी काम करता है। यह महल एक भव्य बाग से घिरा हुआ है, जिसमें पानी की नहर, टैंक और छोटे-छोटे पुल बने हुए हैं।