इसे आराम बाग और बाग-ए-गुल अफसान के नाम से भी जाना जाता है। राम बाग की अवधारणा और निर्माण भारत में पहले मुगल बादशाह बाबर ने 1528 में करवाया था। यह चीनी का रोजा से 500 मीटर, एतमादुद दौला का मकबरा से 3 किमी और ताजमहल से करीब 5 किमी दूर है।
चारों ओर फैला हुआ यह भव्य बाग नहर के जरिए चार भागों में बंटा हुआ है। इस्लाम में जन्नत के बाग या चारबाग की जो अवधारणा है, रामबाग उसी का प्रतीक है।
बाग के नहर में पानी यमुना नदी से तीन चबूतरों पर बने झरने से आता है। बाग में दो गुंबददार इमारत भी है, जिसका रुख यमुना नदी की ओर है। इसमें तयखाना भी है, जिसमें कड़ी गर्मी के समय शाही परिवार शरण लेता था।
इस बाग की खूबसूरती बेजोड़ है। इसमें ढेर सारे आड़े-तिरछे पानी के रास्ते और फव्वारे हैं। मुगल बादशाह जहांगीर की पत्नी बेगम नूरजहां ने इस बाग का नवीनीकरण भी करवाया था।