1822 में निर्मित, यह स्वामी नारायण संप्रदाय का पहला मंदिर है जिसे ब्रिटिश काल में स्वामी आदिनाथ के द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर को बर्मी टीक की लकड़ी से बनाया गया था। इस पर की गई नक्काशी बेहद खूबसूरत है और कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख की गई आकृतियों को यहां उकेरने की कोशिश की गई थी और उनमें सुंदर रंग भी भरे गए थे।
स्वामीनारायण ने इस मंदिर में कई मूर्तियों को स्थापित किया था, इसके अलावा उन्होने वह मूर्तियां भी यहां लाकर स्थापित की थी, जो वह अपने पूजाघर में रखते थे। इस मंदिर में कई धर्मो का प्रदर्शन होता है, उनके भगवान यहां रखे गए है और कई उनकी मूर्तियों का भी प्रदर्शन किया गया है।
इस मंदिर में महिलाओं के लिए विशेष भाग है जहां उनके लिए शिक्षा और समारोह होते है। यह मंदिर, रंगों का उत्सव है जो पुराने शहर के प्राचीन रंग में डूबा हुआ है। नर नारायण इस मंदिर के प्रमुख देवता है।