तमिलनाडु के तिरुवरूर जिले में स्थित अलंगुडी एक बेहद सुन्दर और दर्शनीय गाँव है। यह मन्नरगुडी के पास स्थित कुम्भकोणम से लगभग 17 किमी दूर है। अलंगुडी से सबसे नजदीकी शहर कुम्भकोणम है। यहाँ पर नवग्रह मंदिर स्थित है जो की ज्यूपिटर (बृहस्पति और गुरु ) गृह को समर्पित है।अलंगुडी श्री अबाथसहायेश्वरर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक मंदिर तक जाने के लिए कुम्भकोणम या नीदमंगलम से बस या टैक्सी ले सकते हैं।
अलंगुडी का इतिहास
श्री अबाथसहायेश्वरर मंदिर में पीठासीन मूर्ति का संबंध भगवान शिव से है जिनको इस पवित्र जगह पर भगवान अबाथसहायेश्वरर के नाम से जाना जाता है। पार्वती माता को यहाँ एलावरकुज़ाली और उमाई अम्मई के नाम से जाना जाता है। एक बार देवताओं और असुरों ने पर्कादल (दूध का समुद्र) नामक समुद्र का मंथन किया।
दिव्य औषधि को पाने के लिए किये गए इस मंथन में उन्होंने वासुकी नामक सांप को रस्सी के रूप में और मंदार पर्वत को छड़ के रूप में इस्तेमाल किया। सांप ने विषाक्त जहर छोड़ा जिसे संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने पी लिया। इसलिए भगवान शिव का नाम अबाथसहायेश्वरर पड़ा जिसका मतलब है दुनिया को बचाने वाला और भगवान शिव ने जहर पीकर पृथ्वीवासियों को बचाया। इस प्रकार इस जगह का नाम अलंगुडी पड़ गया।
भगवान शिव के पूजा के अलावा यहाँ के लोग बृहस्पति देव के पूजा भी करते हैं। इनकी मान्यता है कि ऐसा करने से बुरे ग्रहों के प्रभाव से छुटकारा मिलता है। हर वर्ष बृहस्पति के पारगमन के समय ये लोग अपने प्रिय देवता को संतुष्ट करने की कोशिश करते है उनकी कृपा से इन पर सौभाग्य की प्राप्ति होगी और दुर्भाग्य से छुटकारा मिलेगा।
अलंगुडी के आस पास के मंदिर और पर्यटन स्थल
बृहस्पति के अलावा अन्य 8 ग्रहों के मंदिर - तिरुनाल्लर ( शनि के लिए ), कंजनूर (शुक्र के लिए) सूर्यनार कोइल (सूर्य के लिए), तिरुवेंकडू (बुध के लिए), तिरुन्गेश्वरम (राहू के लिए), तिन्गलुर (चन्द्र के लिए), कीजह्पेरुम्पल्लम (केतु के लिए) ये सभी मंदिर अलंगुडी के पास ही स्थित हैं जो कि नवग्रहों में से एक भगवान बृहस्पति को समर्पित स्थल है।
अलंगुडी कैसे पहुंचे ?
कुम्भकोणम यहाँ के लिए मुख्य रेलवे स्टेशन है इसके अलावा नीदमंगलम अन्य नजदीकी स्टेशन है जो कि अलंगुडी से 7 किमी दूर है। इन दोनों जगहों से पर्यटक बस या टैक्सी भी ले सकते हैं।
अलंगुडी का मौसम
अलंगुडी का मौसम प्रायः गर्म रहता है।