सुम-त्ज़ेक मंदिर अल्छी मठ का ही एक भाग है जो अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। ’सुम-त्ज़ेक’ का शाब्दिक अर्थ है- ’तीन मंजि़ला भवन’। यह इमारत तिब्बती वास्तुकला शैली में बनी है जिसके निर्माण के लिए प्राकृतिक पत्थर और चिकनी बलुई मिट्टी का प्रयोग किया गया है।
इस छोटी सी जगह में 4मीटर की ऊँचाई पर ’बौद्धिस्त्व’ अथवा ’प्रबुद्धजन’ की तीन विशाल प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित की गई हैं। भविष्य का बुद्ध, मैत्रेय जिसे ’लाफिंग बुद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है, उसकी 4.63मीटर ऊँची प्रतिमा इस जगह के बिल्कुल बीच में स्थापित की गई है। इस मूर्ति के बायीं और दायीं तरफ क्रमषः एक श्वेत अवलोकितेष्वर, बुद्ध की दया का प्रतीक एक बौद्धिस्त्व की प्रतिमा तथा उत्कृष्ट ज्ञान के प्रतीक, एक बौद्धिस्त्व, मंजुश्री की प्रतिमा है।