आनंद भवन का शब्दिक अर्थ होता है- खुशियों का घर। यह नेहरू-गांधी परिवार का पुस्तैनी मकान है, जिसे अब स्वराज भवन के नाम से जाना जाता है। स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू ने जब इस मकान को खरीदा था तब यह एक बुचड़खाना हुआ करता था। उन्होंने इस मकान का पूरी तरह से नवीनीकरण किया। उन्होंने इस मकान को इंग्लिश लुक देने के लिए यूरोप और चीन से फर्नीचर मंगवाए।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के समय इस घर का प्रयोग एक मुख्यालय के तौर पर किया जाता था और यहां विद्वानों और राजनेताओं की बैठकें हुआ करती थी। आज यह मकान खाली पड़ा है और इसका रख-रखाव जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड द्वारा किया जाता है। पुराने समय को करीब से महसूस करने के लिए पर्यटक नियमित रूप से आनंद भवन का भ्रमण करते हैं।