कुट्टन्ड को केरल का धान का कटोरा भी कहते हैं जो कि अपने ग्रामीण इलाकों की सुन्दरता के लिये भी जाना जाता है। धान के लहलहाते खेतों के फैलाव के बीच- बीच में लम्बे नारियल के पेड़ निरन्तरता को उसी प्रकार बाधित करते हैं जैसे कि एक महिला इस कठोर दुनिया से अपनी सौम्यता बचाये रखना चाहती है।
शायद यह कहने की जरूरत नहीं है कि यह दृश्य कितना मनोरम होता है। इस जगह को चारों ओर से केरल की चार प्रमुख नदियाँ – अचनकोविल, मणिमाला, मीणाचिल और पम्पा घेरे हुये हैं। अतः जलीय मार्ग दैनिक कार्यों तथा सिंचाई में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
नावों से लोग किनारों पर रहने वाले लोगों को सब्जियाँ और मछलियाँ बेचते हैं। कुट्टन्ड में रहने पर शहरवासी शांति के अनुभव के साथ-साथ यहाँ पर रहने वाले लोगों की साधारण या बेवकूफी भरी हरकतों से खुद को मुस्कुराने से नहीं रोक पाते हैं। किराये की नाव पर कुट्टन्ड की यात्रा करना एक शानदार एहसास है। राज्य के अन्य भागों से जलीय मार्गों से जुड़े होने के साथ कुट्टन्ड केरल के अन्य भागों में भी जाने का विकल्प देता है।