सियोम और सीपू नदी के यहां से बहने के कारण अलोंग एडवेंचर को पसंद करने वाले पर्यटकों को रीवर रॉफ्टिंग का विकल्प भी मुहैया कराता है। दोनों नदियां आगे चलकर ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती है। इसे व्हाइट वाटर राफ्टिंग के नाम से भी जाना जाता है। नदी का मार्ग और इस क्षेत्र...
अलोंग के पास स्थित अकाशीगंगा एक पवित्र स्थान है। दरअसल यह पहाड़ का एक वाटर चैनल है। ऐसा कहा जाता है कि जब शिवा ने पार्वती से अगल होने से इंकार किया तो विष्णु ने पार्वती का सर काट दिया। उनका सर इसी स्थान पर गिरा था। इस स्थान को पूज्य व पवित्र पीठस्थान माना जाता है...
मेचुका के नीले पहाड़ की घाटियों और घने हरे जंगलों में मेंबा जनजाति के लोग रहते हैं। यह एक चर्चित पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्रकृति संदरता और बौद्ध मठ के लिए जाना जाता है। यह मठ करीब 400 साल पुराना है और यहां के पुस्तकालय में कई बहुमूल्य बौद्ध धर्मलेख और पुस्तकों को...
मालिनीथान एक पुरातात्विक क्षेत्र है, जो असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास सियांग की पहाड़ियों में स्थित है। इस स्थान पर 14वीं व 15वीं शताब्दी में बने दुर्गा मंदिर के अवशेष खुदाई के दौरान मिले थे। इसके अलावा यहां अलग-अलग देवताओं के ग्रेनाइट से बनी मूर्तियां और...
डोनियो पोलो मंदिर की शुरुआत 1989 में तालोम रुकबो के द्वारा की गई थी। वास्तव में यह सूर्य और चंन्द्रमा की पूजा करने का केन्द्र है। अरुणाचल प्रदेश के 400 केन्द्रों में से यह भी एक ऐसा केन्द्र है, जो प्रचीन धर्म डोनियो पोलोइज्म का प्रसार कर रहा है। इसमें एक तपस्या...
पातुम ब्रिज योमगो नदी पर बना हुआ है। केबल से बने इस ब्रिज से वाहनों के अलावा लोग भी आवागमन करते हैं। यह शहर का एक प्रमुख आकर्षण है, क्योंकि इस पुल से शहर का विहंगम नजारा देखने को मिलता है। रात के समय यह ब्रिज रंग-बिरंगी बत्तियों से जगमगा उठता है। इसके अलावा ब्रिज...
यह ब्रिज रस्सी और बांस का बना है, जससे यह हमें झूलता रहता है। वास्तव में इस पुल का निर्माण स्थानीय लोगों के लिए किया गया है, ताकि वह बिना किसी कठिनाई के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकें। 60 से 70 मीटर लंबा यह पुल जनजातिय लोगों को दूसरे पहाड़ी क्षेत्रों से जोड़ता...