स्वर्ण मंदिर परिसर में तीन पवित्र वृक्ष हैं। बेर बाबा बुड्ढा इन्हीं में से एक है। वहीं लाची बेर और दुख भंजनी दो अन्य वृक्ष हैं। अमृत सरोवर के उत्तरी किनारे पर स्थित इस जुजुबे वृक्ष का नाम एक सिक्ख संत बाबा बुड्ढा के नाम पर पड़ा है। ऐसा माना जाता है कि बाबा बुड्ढा इसी पेड़ की छाया में बैठ कर तालाब की खुदाई पर नजर रखते थे।
बाबा बुड्ढा के उत्साह और समर्पण को देखते हुए 1604 में जब आदि ग्रंथ को हरमंदिर साहिब में रखा गया तो गुरू अर्जुन देव जी ने उन्हें ग्रंथी नियुक्त किया। स्वर्ण मंदिर के इस पहले मुख्य पुरोहित का निधन रामदास गांव में हुआ था। आज इस गांव में बेर बाबा बुड्ढा साहिब है। स्वर्ण मंदिर के ठीक सामने स्थित बेर बाबा बुड्ढा घूमे बिना इस तीर्थस्थल की यात्रा यात्र अधूरी मानी जाएगी।