स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह देश का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और यहां पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं। अमृतसर में स्थित इस मंदिर को सबसे पहले 16वीं शताब्दी में 5वें सिक्ख गुरू, गुरू अर्जुन देव जी ने बनवाया था। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरुद्वारे की ऊपरी छत को 400 किग्रा सोने के वर्क से ढंक दिया, जिससे इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा।
संगमरमर से बना यह दो तल्ला गुरुद्वारा अमृत सरोसर नाम के एक पवित्र तालाब से घिरा हुआ है। सिक्ख धर्म के पवित्र ग्रंथ आदि ग्रंथ को दिन के समय इसके पवित्र स्थान पर रखा जाता है। मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं, जो मानवीय भाईचारे और समानता का संदेश देते हैं। भले ही इस मंदिर का महत्व सिक्ख धर्म में हो, पर अमृतसर आने वाले भारतीय और विदेशी पर्यटक भी इससे दूर नहीं रह पाते हैं।