गुरुद्वारा बाबा अटल स्वर्ण मंदिर के दक्षिण में स्थित है। करीब दो शताब्दी पहले बना यह गुरुद्वारा मूल रूप से गुरू हरगोविंद जी के बेटे बाबा अटल राय की समाधि है। इस गुरुद्वारा में एक 40 मीटर ऊंचा अष्टभुजीय स्तंभ है। इसमें 9 तल्ले हैं, जो बाबा अटल राय के 9 साल के संक्षिप्त जीवन को दर्शाते हैं। उनका निधन 1628 में हुआ था।
निचले तल पर प्रत्येक कार्डिनल की ओर चार दरवाजे हैं, जबकि मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है। गुरू ग्रंथ साहिब को अष्टभुजीय स्तंभ के अंतर्गत रखा गया है। गुरुद्वारा बाबा अलट 24 घंटे लंगर बंटने के कारण सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यह उस पुरानी कहावत को भी सही ठहराता है, जिसमें कहा गया है- ‘‘बाबा अटल पकियां पकाइयां घाल।’’ इसका अर्थ होता है- बाबा अटल पका पकाया भोजन भेजते हैं।
अपनी उत्कृष्ट वास्तुशिल्पीय बनावट के लिए चर्चित इस गुरुद्वारा को अमृतसर जाने के दौरान जरूर घूमना चाहिए।