श्री अकाल तख्त का शाब्दिक अर्थ होता है शाश्वत सिंहासन और यह टेंपोरल अथॉरिटी ऑफ खालसा का सर्वोच्च तख्त है। साथ ही यह सिक्खों के अध्यात्मिक गतिविधियों का केन्द्र बिंदू भी है। छठे सिक्ख गुरू, गुरू हरगोविंद जी द्वारा बनवाया गया यह तख्त भारत के पांच तख्तों में सबसे पुराना और सबसे महत्पवूर्ण है।
अमृतसर जाने वाले सिक्ख पर्यटकों को हरमंदिर साहिब परिसर में स्थित श्री अकाल तख्त जरूर जाना चाहिए। सिक्ख समुदाय के प्रभुसत्ता का प्रतीक श्री अकाल तख्त एक पांच तल्ला संरचना है। इसमें संगमरमर जड़े हुए हैं और एक सोने की वर्क वाला गुंबद भी है।
इसके अलावा एक अर्धवृत्ताकार चबूतरा भी है, जो परांगण में खुलता है। दिन के समय में आदि ग्रंध को स्वर्ण मंदिर में रखा जाता है, जबकि रात के समय इसे श्री अकाल तख्त के पवित्र परिसर में रखा जाता है। यहां उन प्राचीन हथियारों को भी रखा गया है, जिसका इस्तेमाल सिक्खों ने 1984 में स्वर्ण मंदिर पर हुए हमले के दौरान किया था।