मैती गांव में स्थित मंगखिम मंदिर प्रकृति की पूजा करने वाले राय मूल के लोगों का मंदिर है। यह मंदिर चट्टानों से घिरा हुआ है, जिन पर हाथी के पैरों के निशान हैं। राय समुदाय के लोग वर्ष में दो बार साकेव नामक एक विशेष पूजा के लिए इस मंदिर में आते हैं।
इस पूजा का आयोजन आम तौर पर अप्रैल या मई के दौरान किया जाता है। यहाँ की स्थानीय जनजातिय लोगों का मानना है की इस पूजा का मुख्य उद्देश्य खेती में बढोतरी है। इस पूजा के बाद राज्य में अनाज की अधिकता रहती है। इस उत्सव में नृत्य और गायन का अपना एक अलग ही महत्त्व है।
यहाँ किये जाने वाले नृत्य का नाम सिल्ली है जिसमें स्थानीय लोगों द्वारा प्रवासीय पक्षियों की नक़ल को अंजाम दिया जाता है। यहाँ के लोगों का ये भी मानना है की इस पर्व का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को वापस बुलाना है जो दूसरे देशों या राज्यों में रह रहे हैं। इस पर्व में ढोल, धनुष, तीरों के अलावा कई सारे वाद्ययंत्र का भी इस्तेमाल किया जाता है यह पर्व आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में आयोजित किया जाता है।