बलांगीर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक शहर के साथ एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला शहर भी है। यह जगह, यहां की खूबसूरत सेटिंग के कारण जानी जाती है और यहां कई सुंदर मंदिर और श्राइन भी स्थित है। एक समय में पटनागढ़ की राजसी राजधानी होने के कारण, यहां आज भी अतीत के गौरव और आकर्षण को देखा जा सकता है। इस स्थान का नाम बालारामगढ़ गृह के नाम पर रखा गया है जो 19 वीं शताब्दी के बलांगीर के राजा बालाराम देव के नाम पर रखा गया है।
बलांगीर और उसके आसपास स्थित पर्यटन स्थल
बलांगीर में कई पर्यटन स्थल, अपनी मनोरम सुंदरता के कारण जाने जाते है। जलिया यहां का सबसे सुंदर गांव है जो घने जंगलों से घिरा हुआ है। यह गांव, ट्रैकिंग के लिए प्रसिद्ध है। इस गांव के पास से एक नदी गुजरती है जो इस गांव को एक सुंदर पिकनिक स्पॉट में परिवर्तित कर देती है। बलांगीर ये जलिया लगभग 20 किमी. की दूरी पर स्थित है।
बलांगीर यहां एक अन्य पर्यटन स्थल, गाईखाई प्रदान करता है। यह एक सुरम्य घाटी है जो तीनों तरफ से पहाडियों से घिरी हुई है। यह कैम्पिंग और पिकनिक के लिए आदर्श स्थल है। बलांगीर की सैर, पटनागढ़, रानीपुर, जारियाल, संताला, तेनट्टुलीखुंती, मुर्सिंग और जल महादेव की यात्रा के बिना अधूरी है। यहां लोअर सुखतेल प्रोजेक्ट, सुखतेल नदी के पर बांध बनाएं जाने के लिए प्रस्तावित हुआ है।
बलांगीर पर्यटन, पर्यटकों को आकर्षण स्थल प्रदान करता है। आप यहां आकर, आश्रम, महल, पार्क, मंदिर और श्राइन आदि देख सकते है। यहां एक शैलसाश्री महल है जहां बलांगीर का शाही परिवार निवास किया करता था। इसे उड़ीसा के सबसे अच्छे महलों में से एक माना जाता है। अर आप एक धार्मिक अनुभव की अनुभूति करना चाहते है तो शहर से 5 किमी. की दूरी पर स्थित खुजेनपाली के आनंद निकेतन की सैर कर लें। राजेंद्र पार्क, सदियों पुराना पार्क है जहां गुलाबों की हजारों किस्में है।
उड़ीसा की सबसे प्राचीन झील, कंरगा काता भी यहां बहती है और इस स्थल को सुंदर बनाती है। बलांगीर का नगर पालिका बोर्ड, यहां के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटकों की सुविधा का ध्यान रखते हुए नौका विहार की सुविधा भी प्रदान करता है। इस स्थान पर सुंदर गार्डन भी है। इस झील के पास में ही दुर्गा मंदिर भी स्थित है।
धार्मिक स्थान
यहां मां पटनेश्वरी मंदिर स्थित है जो पटनेश्वरी गुडी को समर्पित है जिन्हे स्थानीय स्तर पर देवी माना जाता है। यहां स्थित गोपाल जी मंदिर में भगवान कृष्ण और लक्ष्मी नारायण मंदिर में देवी लक्ष्मी की मूर्तियों की स्थापना है। इसके अलावा, बलांगीर में हरीशंकर मंदिर, मां समालेश्वरी मंदिर, नरसिंहा मंदिर, संतोषी मंदिर, लोकनाथ बाबा मंदिर, शीतला माता मंदिर, भगवत मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, मौसी मां मंदिर, रामजी मंदिर, श्यामा काली मंदिर, साईबाबा मंदिर आदि है।
जोगिसनद्रा, बलांगीर शहर से 25 किमी. की दूरी पर स्थित है, यहां एक प्रसिद्ध जोगेश्वर मंदिर बना हुआ है। हर साल हजारों पर्यटक यहां दर्शन करने आते है। यह एक सुन्नी मस्जिद भी है जो तिक्रापारा पर स्थित है, एक कैथोलिक चर्च भी रूगड्डी में बना हुआ है और प्रोटेस्टेंट चर्च, आदर्शपादा में बना हुआ है। जलारामा मंदिर में हिंदू - गुजराती समुदाय के लोग पूजा करते है और झूलेलाल में सिंधी समुदाय के लोग पूजा करते है।
शॉपिंग और फूड
स्थलों के भ्रमण करने के अलावा, यहां और भी ऐसे काम है जो आसानी से किए जा सकते है। इस शहर में संभलपुरी साड़ी, ड्रेस मैटरियल और बेड शीट भी काफी अच्छी मिलती है। जो लोग मिठाई खाने के शौकीन है, वह बलांगीर की प्रसिद्ध मिठाई लबनगालाता, छेना - गाजा, अरिसा पीठ और छेना पेड़ा का स्वाद चख सकते है। मजेदार, चटपटी स्नैक्स चाकुली पीठा, पीठायु भाजा, गुलगुला और चाउल बारा आदि भी यहां खाई जा सकती है।
बलांगीर की सैर का सबसे अच्छा समय
बलांगीर की सैर अक्टूबर से फरवरी के दौरान अच्छी तरह से की जा सकती है।
बलांगीर कैसे पहुंचे
बलांगीर में रेलवे स्टेशन है, वहां तक नियमित रूप से ट्रेन चलती है। राज्य सरकार द्वारा बसों को भी बलांगीर तक चलाया जाता है। यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट, भुवनेश्वर है।