बाराबंकी जिले के महादेवा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह शिव के पुराने मंदिरों में से एक है, जिसके परिसर में दुर्लभ शिवलिंग है। निष्ठापूर्ण श्रद्धालू अक्सर इस मंदिर में प्रार्थना और भगवान शिव की पूजा करने आते हैं। एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार एक...
किंतूर बदोसराय के पूर्वी छोर पर स्थित है। इस जगह का नामकरण पांडव की मां कुंती के नाम पर किया गया है। यह गांव कुंतेश्वर मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां कई श्रद्धालू और इतिहासकार प्रार्थना के लिए आते हैं।
देवा या देवा शरीफ की ख्याति का मुख्य कारण यहां स्थित हाजी वारिस अली शाह का तीर्थ स्थल है। वह एक सूफी संत थे, जो ‘मानवता के लिए सर्वव्यापी प्रेम’ की अवधारणा में विश्वास करते थे। इस तीर्थ स्थल पर उनकी याद में एक महंगा मकबरा भी बनाया गया है।
ऐसा...
बदोसराय एक प्रसिद्ध तीर्थ केन्द्र है, जो बाबा जगजीवन दास के तीर्थ स्थल के लिए जाना जाता है। वह एक संत थे, जिन्होंने कोटवा, जिसे आम तौर पर कोटवाधाम के नाम से जाना जाता है, में सतनामी पंथ की स्थापना की थी। यहां का एक पोखर पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है, जिसमें...
सिद्धौर एक ऐतिहासिक शहर है, जो कि सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के लिए जाना जाता है। शिवरात्रि का त्योहार मनाने के लिए यहां हर साल दिसंबर और जनवरी के बीच एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान कई श्रद्धालु मंदिर में जाकर प्रार्थना करते हैं और बलि चढ़ाते हैं। इस...
सतरिख बाराबंकी जिले का एक ऐतिहासिक शहर है। यह वही जगह है जहां राजपरिवार के प्रमुख गुरू ने उपदेश दिए थे और राजकुमारों की कक्षाएं ली थी। यह जगह भारत के संतों और धर्मोपदेशकों की तपस्या के लिए खासी प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं, यहां महान सूफी संत सालार शाह के पिता का...
ऐसा कहा जाता है कि बाराबंकी का पारिजात वृक्ष विश्व में अपने प्रकार का अकेला वृक्ष है। यह एक उभयलिंगी वृक्ष है, जिसमें न ही फल लगते हैं और न ही बीज होता है। इस अनूठी खासियत के कारण भी इसकी खासी लोकप्रियता है। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि यह वृक्ष 5000 साल पुराना...
मसौली एक छोटा गांव है, जहां प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रफी अहमद किदवई का जन्म हुआ था। यह बहुत ही शांत गांव है और यहां विशाल मैदान के साथ-साथ कृषि योग्य भूमि भी है। जो पर्यटक भारत के इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जानने के इच्छुक होते हैं, वे स्वतंत्रता...
बाराबंकी का घंटाघर आम लोगों और वाहनों के शहर में पहुंचने के लिए प्रवेश द्वारा का काम करता है। इसका निर्माण पत्थरों के चाप के रूप में किया गया है और इस पर लगी घड़ी में भारतीय मानक समय दिखाया जाता है। साथ ही यह शहर का एक प्रमुख लेंडमार्क भी है। इनपर पत्थरों से उकेरी...
भितौली गांव की स्थापना एक धार्मिक विद्वान सैयद दाउद ने की थी। उस विद्वान और उसकी पोती का कब्र गांव के पुराने कब्रिस्तान में पया गया है। हालांकि आज भी उनके पोती के कब्र पर जाने की मनाही है। वह विद्वान प्रतिष्ठित अल्वी परिवार का हिस्सा थे, जिन्होंने भारत को कई नामी...