शेर अफगान को बर्धमान पर मुगल शासन के आलोचक के रूप में जाना जाता है। 1610 ई0 के युद्ध के बाद उन्हें ससम्मान यहीं दफनाया गया था और राज्य भर से लोग इस समाधि पर आते हैं। अफगान शेर का मकबरा शहर के केन्द्र के समीप है।
शेर अफगान को बर्धमान पर मुगल शासन के आलोचक के रूप में जाना जाता है। 1610 ई0 के युद्ध के बाद उन्हें ससम्मान यहीं दफनाया गया था और राज्य भर से लोग इस समाधि पर आते हैं। अफगान शेर का मकबरा शहर के केन्द्र के समीप है।