दरगाह-ए-आला-हजरत ही वह धार्मिक स्थान है जिसने बरेली को विश्व विख्यात बनाया है। शहर के सौदागरन मोहल्ले की तंग गलियों में स्थित इस धार्मिक स्थल को मुस्लिम सन्त और विद्वान आलाहजरत इमाम अहमद रज़ा ख़ान की याद में बनवाया गया था।
14 जून सन् 1856 में जन्में इस महान विद्वान को आलाहजरत अर्थात महान विद्वान व्यक्ति की उपाधि इसलिये दी गई थी क्योंकि वे ज्ञानी और साहित्यिक दुनिया के चमकते सितारे थे। वे मुस्लिम धर्म के जानकार थे। उन्होंने यहाँ पर इस्लामिक ज्ञान केन्द्र की स्थापना की और यह विश्व के लोगों के लिये तीर्थस्थल बन गया। लोग भारी संख्या में उर्दू, अरबी, और फारसी भाषाओं में उनके महान साहित्यिक रचनाओं का अध्ययन करने आते हैं।
इस महान विद्वान द्वारा रचित सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है फतवा राधविया। यह 12 भागों में 12000 पृष्ठों में लिखी है। यह मुस्लिमों द्वारा जीवन की सामान्य दिनचर्या में आने वाली धार्मिक एवं लौकिक समस्याओं का हल उपलब्ध कराती है।