भद्रावति की सैर करने आए सैलानियों को भद्रा वन्यजीव अभयारण्य भी देखना चाहिए। इस अभयारण्य को अपना नाम इस क्षेत्र में बहने वाली भद्रा नदी से प्राप्त होता है। 490 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला, यह अभयारण्य पश्चिमी घाटों के सूखे और नम पर्णपाती जंगलों के बीच स्थित है। 1951 में, इस क्षेत्र को प्राकृतिक रिज़र्व के रूप में घोषित किया गया था साथ ही इसे जगारा घाटी खेल रिजर्व के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
इसे अपना वर्तमान नाम 1974 में मिला और बाद में 1998 में 25वें बाघ परियोजना के रूप में घोषित किया गया। इस अभयारण्य में तेंदुआ, हाथी, गौर, सांभर, बाघ, हिरण, काकड़ और साही जैसे जानवरों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां पर्यटक दक्षिणी हरा कबूतर, पन्ना कबूतर, मालाबार तोता, पहाड़ी मैना और काला कठफोड़वा जैसे पक्षियों की कई प्रजातियों को भी देख सकते हैं।
किंग कोबरा और भारतीय रॉक अजगर जैसे सरीसृपों के साथ आप यहां बैंबू ट्री ब्राउन, ग्रेट नारंगी टिप, टेल्ड जय और ब्लू पन्सी जैसी विभिन्न प्रकार के रंगों वाली तितलियों को देख पाएंगे।वन्यजीवों के साथ-साथ इस अभयारण्य में पौधों की 120 प्रजातियां भी हैं जिसमें कोंबटेशा और इंड़िगोबेरी(रेंडिया डुमेटोर्म) शामिल हैं जोकि इस अभयारण्य के विशाल क्षेत्र में फैला है।
इसके अलावा, इस अभयारण्य में सागौन, महासर्ज, किंडल, सिडिया केल्सिना, इंड़िगो, ताड़, ऐक्सलवूड़, जलारी, जंबा पेड़ और स्लो मैच पेड़ हैं। तो, बताइये अब आप भद्रा वन्यजीन अभयारण्य के बारे में क्या सोचते हैं?