समय मिलने पर यात्रियों को इस मंदिर के दर्शन करने चाहिये। मंदिर में कि गई नकाशियों से पता चलता है कि यह मंदिर विजयनगर साम्राजय के दौरान बनाया गया है। मंदिर में चार स्तंभ रहित एक बड़ा सा विशाल कक्ष है जिसके 8 और अष्ठ दिकपलक है, इसे नवरंग कहते हैं।
मंदिर की दीवारों पर राम वनवास, राम पथाभिशेक और पुत्र कमेश्ती की पौराणिक कहानियां लिखी गई है। मंदिर की मूर्ति के सामने मंदिर के समर्थक कैता पै और उनकी पत्नी की नक्काशी की गई है। मंदिर के प्रवेशद्वार के पास ध्वजस्तंभ है, जो इसकी खूबसूरती में चार चार लगाता है।