पर्यटकों को गोल गुम्बद का दौरा अवश्य करना चाहिए क्योकि इसका एक ऐतिहासिक महत्व है। यह दुनिया का दुसरा सबसे बड़ा मकबरा है और बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह का मकबरा भी है। आदिल शाह, 1460 से 1696 के बीच शाही राजवंश का शासक था। इस इमारत का निर्माण धावुल के प्रसिद्ध वास्तुकार याकूत ने किया था।
इस गोलगुम्बद का व्यास 44 मीटर है, इस गुम्बद के अंदरूनी हिस्से में कोई सहारा नहीं है जो कि अभी तक रहस्य बना हुआ है और इसमें एक फुसफुसा गैलरी भी है। इस गैलरी में आवाज 7 बार गूजॅती है और एक तरफ से दूसरी तरफ तक स्पष्ट रूप से सुनाई देती है। यह माना जाता है कि राजा आदिल शाह और उनकी बेगम इसी गैलरी के रास्ते एक- दूसरे से बातें किया करते थे।
गायक इसी गैलरी में बैठकर गाते थे ताकि उनकी आवाज और संगीत प्रत्येक कोने तक पहुंच सके। इस गुम्बद का वास्तुशिल्प, सुविधानुसार 8 वीं मंजिल की 4 मीनारों वाली और प्रवेश घुमावदार सीढि़यों द्धारा बनाया गया था। इसके बड़ी दीवारों वाले बगीचें में 51 मीटर की ऊॅचाई और 1700 वर्ग मीटर का क्षेत्र कब्र बनाने के लिए निर्मित करवाया गया था।