बोधगया बिहार में स्थित है और ऐतिहासिक रूप से उरूवेला, समबोधि, वज्रासन या महाबोधि के नाम से जाना जाता था। बोधगया अपने कद्रदानों को आध्यात्म और वास्तुकला आश्चर्य का अनुभव कराता है। चूँकि बिहार में कई मठ पाये जाते हैं और इसका नाम भी विहार से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है मठ होता है।
बौद्ध धर्म तथा धार्मिक आध्यात्म के परिपेक्ष्य में बोधगया का स्थान काफी ऊँचा है। बोधगया पर्यटन के अन्तर्गत बौद्ध धर्म तथा कई अन्य पंथों के सबसे ज्यादा प्रामाणिक और ऐतिहासिक केन्द्र आते हैं। बोधगया बौद्ध धर्म अनुयायियों का प्रमुख तीर्थस्थल है। स्थान के रूप में बोधगया की अपनी आत्मा है जो शान्ति और सौम्यता से ओत-प्रोत है।
बोधगया का इतिहास
बौद्ध साहित्य के अनुसार, गौतम बुद्ध फाल्गू नदी के किनारे आये और बोधिवृक्ष के नीचे साधना की। बोधगया ही वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने अपने ज्ञान की खोज को समाप्त किया और यहीं उन्हें अपने प्रश्नों के उत्तर मिले।
इस स्थान का उल्लेख इतिहास के पन्नों में मिलता है और और चीनी तीर्थयात्रियों फैक्सियान और जुआनजैंग के पास भी इसका सन्दर्भ मिलता है। यह क्षेत्र कई सदियों तक बौद्ध सभ्यता का केन्द्र रहा लेकिन 13वीं शताब्दी में तुर्की के सेनाओं ने इसपर कब्जा कर लिया।
ऐसी प्रतिष्ठित परम्परा बोधगया को एक ऐसा स्थान बना देती है जिसे पर्यटक छोड़ना नहीं चाहते। बुद्ध की मृत्यु के कई शताब्दियों बाद, मौर्य शासक अशोक ने बौद्ध धर्म को श्रृद्धान्जलि देते हुये कई मठों और लाटों का निर्माण कराया। बराबर की पहाड़ियों पर स्थित बराबर गुफाओं की शानदार वास्तुकला अपने विशाल चापों के कारण अपने समय से काफी बाद के लगते हैं।
बोधगया और इसके आसपास के पर्यटक स्थल
बोधगया पर्यटन में महाबोधि मन्दिर, विष्णुपद मन्दिर, बोधि वृक्ष, दुंगेश्वरी गुफा मन्दिर प्रमुख हैं और साथ में जामा मस्जिद भी। बोधगया पर्यटन के अन्तर्गत बुद्ध की 80 फीट ऊँची प्रतिमा, कमल का तालाब, बुद्ध कुण्ड, चीनी मन्दिर और मठ, बर्मीस़ मन्दिर, भूटान का बौद्ध मठ, राजायत्न, ब्रह्मयोनि, अन्तराष्ट्रीय बौद्ध हाउस और जापानी मन्दिर, थाई मन्दिर और मठ, तिब्बती मठ और एक पुरातत्वीय संग्रहालय जैसे कई अन्य रोमांचक आकर्षणों भी आते हैं। ये आकर्षण बोधगया के विकास की एक गाथा कहते हैं। पूरे विश्व भर के भिक्षु यहाँ बौद्ध स्थलों में साधना में तल्लीन पवित्र धार्मिक ग्रन्थों को पढ़ते देखे जा सकते हैं।
गृधाकुटा राजगीर के रास्ते पर पड़ता है। यह स्थान एक शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ आने पर राजगीर की पहाड़ियाँ अवश्य देखें जहाँ औषधीय गुण वाले गर्म पानी के सोते पाये जाते हैं और यहाँ पर स्त्री-पुरुष के लिये अलग-अलग स्नान की सुविधा है।
बोधगया पर्यटन का अनुभव मोहित करने वाला और लाभदायक होता है। यहाँ पर आने वाले पर्यटकों को इस स्थान की शान्त महिमा और पृथ्वी के समीप के वातावरण से प्यार हो जाता है। राजगीर गया से 75 किमी की दूरी पर है और यह वही स्थान है जहाँ बुद्ध ने प्रवचन दिया था, पर्यटक बोधगया से एक छोटी यात्रा की सोच सकते हैं।
बोधगया के त्यौहार
गौतम बुद्ध के जन्मदिन पर मनाई जाने वाली बुद्ध जयन्ती बोधगया का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है औ यह हर वर्ष मई महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बोधगया के अन्य प्रमुख त्यौहारों में वार्षिक रूप से मनाया जाने वाला तीन दिवसीय बुद्ध महोत्सव प्रमुख है।
विश्व शांति के लिये कग्यू मोनलम चेन्मो और न्यिंग्मा मोनलम चेन्मो प्रार्थना त्यौहार के रूप में वार्षिक रूप से जनवरी-फरवरी में आयोजित किये जाते हैं। नये साल पर कुछ दिनों के लिये मठों को पवित्र करने के लिये उनमें महाकाली पूजा का आयोजन किया जाता है।
बोधगया आने का सबसे बढ़िया समय
बोधगया आने के लिये अक्टूबर से मार्च के बीच के महीने सबसे बढ़िया होते हैं हलाँकि कुछ विशेष पर्वों में भाग लेने के लिये पर्यटक अन्य महीनों का चुनाव भी कर सकते हैं।
बोधगया कैसे पहुँचें
बोधगया सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा है और यहाँ के लिये निकटतम रेलवेस्टेशन और हवाईअड्डा गया में स्थित हैं। बोधगया आने के लिये रेल मार्ग सबसे सुलभ है। शहर में या पास में स्थित रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन की तुलना में हवाईअड्डा काफी दूर है।