गया हिन्दुओं के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थानों में से एक है क्योंकि यहाँ पर विष्णुपद मन्दिर का आशीष है। ऐसा माना जाता है कि इस मन्दिर को 40 सेमी लम्बे भगवान विष्णु के पैरों अर्थात धर्मशिला के चारों ओर बनाया गया था। इसे चाँदी की परत से बने हौज में केन्द्र में...
मौर्यकाल युगीन बराबर गुफायें देश की सबसे पुरानी पत्थरों से काटी गई गुफाये हैं जो आज भी विद्यमान हैं। ज्यादातर बराबर गुफाओं में दो कक्ष हैं, जो पूरी तरह से ग्रनाइट से काटे गये हैं और इनकी भीतरी सतह बहुत ही चमकदार होने के कारण आवाज की गूँज बहुत मजेदार होती है। चार...
बराबर की पहाड़ियों में चार गुफायें हैं। लोमस ऋषि गुफा में सामने का भाग चाप के आकार का है और इसमें लकड़ी की वास्तुकला भी शामिल है। गुफा के झुकावों के साथ वाले दरवाजे को हाथियों की कतार से सजाया गया है जो कि स्तूप की तरफ जाता है। सुदामा गुफा को 261 ईसा पूर्व मौर्य...
महाबोधि मन्दिर के बोधि वृक्ष को श्री महा बोधि भी कहते हैं। इस वृक्ष को पवित्र माना जाता है क्योकि बौद्ध धर्मग्रन्थों के अनुसार गौतम बुद्ध को ज्ञान इसी पेड़ के नीचे प्राप्त हुआ था और इस ज्ञान प्राप्ति के बाद बोधि वृक्ष के लिये कृतज्ञता के भाव से उनका हृदय भर गया।...
बोधगया की जामामस्जिद बिहार की सबसे बड़ी मस्जिद है। मुजफ्फरपुर के शाही परिवार ने इसे 180 वर्ष पूर्व बनवाया था। मस्जिद में प्रार्थना के लिये भारी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं और यह बिहार में तबलिग का महान केन्द्र है।
खूबसूरत दुंगेशवरी गुफा मन्दिर, जिसे महाकला गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुत ही पवित्र और आत्मीय स्थान है। पर्यटक दुंगेशवरी गुफा में शान्ति की तलाश में आते हैं। ये गुफा मन्दिर वही स्थान है जहाँ से बोधगया में ज्ञान प्राप्ति से पूर्व गौतम बुद्ध ने तपस्या की...
महाबोधि मन्दिर एक पवित्र बौद्ध धार्मिक स्थल है क्योंकि यह वही स्थान है जहाँ पर गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। पश्चिमी हिस्से में पवित्र बोधि वृक्ष स्थित है। संरचना में द्रविड़ वास्तुकला शैली की झलक दिखती है। राजा अशोक को महाबोधि मन्दिर का संस्थापक माना जाता...