पूर्वोत्तर में सेसा आर्किड अभयारण्य के साथ स्थित ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य भी पश्चिमी कामेंग जि़ले में हिमालय की जलहटी में एक संरक्षित क्षेत्र है। भारतीय सेना की रेड ईगल डिवीज़न को 1950 के दशक के दौरान इस क्षेत्र में तैनात किया गया था, इसलिए इसका नाम ईगलनेस्ट रखा गया। इस अभयारण्य के पूर्व में कामेंग नदी है।
ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य में पक्षी प्रजातियों की विशाल विविधता के कारण यह दर्शकों के लिए एक प्रसिद्ध बर्ड साइट है। ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य अलग होने के कारण लकड़ी और पशुओं के अवैध शिकार से अधिकतर बचता रहा है। इस अभयारण्य तक एक कच्ची सड़क जाती है जो पर्वतशृंख्ला की चोटी तक पहुँचने के लिए उपयोग की जाती है। इसके कारण सेना, वैज्ञानिकों और पर्यावरण के पर्यटकों को यहाँ तक पहुँचना आसान हो जाता है।
एक प्रमुख बर्डिंग साइट के रूप में ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य में 454 प्रजातियाँ हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं- जलकाग, काले सारस, ओरिएंटल व्हाइट आइबिस, बतख, हाक, नाईजार्स, गिद्ध, नील-परी पक्षी, लार्क, फ्लाईकैचर, किंगफिशर आदि। पक्षियों के साथ साथ, ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य में स्तनधारियों की 15 प्रजातियाँ भी हैं जैसे- छाया लंगूर, बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, लाल पांडा, एशियाई काले भालू आदि।
इसके अलावा इस वन्यजीव अभयारण्य में उभयचरों की 34 विभिन्न प्रजातियाँ, साँप की 24 प्रजातियाँ और छिपकलियों की 7 प्रजातियाँ भी हैं। ईगलनेस्ट अभयारण्य में कुछ दुर्लभ प्रजातियाँ जैसे दार्जिलिंग झूठा-भेडि़या, साँप और गुंथर के कुकरी नाग।