चंदेरी का हैंडलूम (हथकरघा) यूनिट अपनी आकर्षक चंदेरी साड़ियों के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध है। चंदेरी ज़री की बुनाई और मलमल की साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है जो रेशम और कॉटन (कपास) से बनी होती हैं।
चंदेरी बुनाई 4 थी शताब्दी में प्रारंभ हुई। इस प्रभावशाली बुनाई ने भारत के विभिन्न देशों के राजाओं और रानियों को प्रभावित किया। चंदेरी सिल्क और कॉटन शाही घरानों में 11 वीं शताब्दी से प्रसिद्ध है। चंदेरी कपडा अपने कम वज़न, महीनता और पारदर्शिता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।
ज़रीदार बॉर्डर और विविध रंग चंदेरी साड़ी की विशेषता है। चंदेरी सिल्क का उपयोग सूटपीस, स्कॉर्फ, दुपट्टे आदि बनाने के लिए किया जाता है। चंदेरी साड़ी और अन्य वस्तुओं का निर्यात भी किया जाता है।