सोहरा (चेरापूँजी) के निकट नाँगसॉलिया एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है। यह स्थान साल भर दुनिया के कोने-कोने से आये पर्यटकों से भरा रहता है। यह मुख्यतः सन् 1848 में वेल्श मिशनरी द्वारा स्थापित पूर्वोत्तर भारत के पहले गिरजाघर के लिये जाना जाता है। भारत में अंग्रेजों की सुन्दर स्थापत्य कला को इस गिरजाघर में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
यह वही स्थान है जहाँ थॉमस जोन्स नाम की एक और मिशनरी ने खासी वर्णमाला का परिचय कराया जिसका बाद में खासी और जैन्तिया पाहाड़ियों के अन्य भागों में विस्तार हुआ और इससे खासी साहित्य को बढ़ावा देने में सहायता मिली।
जो लोग यहाँ पर एक-दो दिन के लिये रुकना चाहें, उनके लिये पास ही में चेरापूँजी हॉलिडे रिजॉर्ट, कोनिफेरस रिजॉर्ट और सा-इ-मीका पार्क जैसे कई सुन्दर होटल और रिजॉर्ट उपलब्ध हैं। नाँगसॉलिया चेरापूँजी से 2 किमी की दूरी पर है और यहाँ किराये की टैक्सी द्वारा शिलाँग या चेरापूँजी से आसानी से पहुँचा जा सकता है।