थिलाई नटराजर मंदिर चिदंबरम का प्रमुख आकर्षण है। यह शैवों के लिए पूजा के सबसे महत्वपूर्ण केन्द्रों में से एक है और यह देश भर के यात्रियों को आकर्षित करता है। कई संतों ने इसकी प्रशंसा में गीत गाएं हैं। इसका निर्माण लगभग 2 सदी पहले किया गया था और तब से इस ने वास्तुकला, नृत्य और तमिलनाडु के अन्य कला रूपों को प्रभावित किया है।
आज जिस रुप में यह मंदिर खड़ा है इसे विभिन्न समय पर विभिन्न राजवंशों ने पुनर्निर्मित किया था और उनके शैलीगत प्रभावों को मंदिर की वास्तुकला में देखा जा सकता है। इस मंदिर ने कई राजवंशों को बनते और नाश होते देखा है और इन में से हर एक ने इस पर अपनी छाप छोड़ी है। यहां भगवान शिव को थिलाई कोथन के रुप में पूजा जाता है और यहां स्थापित मुख्य मूर्ति नटराज या "ब्रह्मांडीय नर्तकी" की है।
यह तमिलनाडु के पन्च भूत स्थलों में से एक है। थिलाई नटराजर मंदिर शहर के बीचोंबीच स्थित है, इसलिए चिदंबरम आने वाले यात्रियों को इसे ढूंढने में कोई मुश्किल नहीं होगी।