सतबीस देओरी मंदिर जैनियों के लिए एक पवित्र मंदिर है एवं मोहन मगरी के अंदर स्थित है। मोहन मगरी एक विशाल संरचना है जिसका निर्माण वर्ष 1567 में मुग़ल सम्राट अकबर के चित्तौड़गढ़ आक्रमण के दौरान हुआ था। यह संरचना इतनी उंचाई तक बनाई गई थी कि तोपें सीधे चित्तौड़गढ़ किले...
मीरा मंदिर मीराबाई, जो एक राजपूत राजकुमारी थीं से जुड़ा हुआ एक धार्मिक स्थल है। उन्होंने राजसी जीवन की सभी विलासिता को त्याग कर भगवान कृष्ण की भक्ति में अपना जीवन व्यतीत किया। मीराबाई ने अपना सारा जीवन भगवन कृष्ण के भजन और गीत गाने में बिताया।
मीरा मंदिर...
नगरी जो मौर्य राजवंश का प्रमुख शहर था, चित्तौड़गढ़ से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बरीच नदी के किनारे स्थित है।पहले इस शहर को “माध्यमिका” के नाम से जाना जाता था और मौर्य काल से गुप्त काल तक इसने बहुत उन्नति की।
इन वर्षों में खुदाई में इस...
बस्सी वन्य जीवन अभ्यारण्य बस्सी गाँव के पास स्थित है जो 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। पश्चिम में विंध्याचल श्रेणियों द्वारा घिरा हुआ यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों की खुशी के लिए एक सुरम्य दृश्य प्रस्तुत करता है। बहुत से जंगली जानवरों जैसे चीता, जंगली...
मेनल, चित्तौड़गढ़ से 90 किमी की दूरी पर चितौड़गढ़- बूंदी मार्ग पर स्थित एक छोटा शहर है। इस जगह के सुन्दर परिदृश्य और प्राचीन मंदिर खजुराहो जैसे लगते हैं; इसलिए यह जगह छोटा खजुराहो के नाम से भी जानी जाती है।
इस जगह पर पहले से ही बहुत से प्राचीन बौद्ध मंदिर...
गोमुखकुंड, प्रसिद्द चितौड़गढ़ किले के पश्चिमी भाग में स्थित एक पवित्र जलाशय है। गोमुख का वास्तविक अर्थ ‘गाय का मुख’ होता है। पानी, चट्टानों की दरारों के बीच से बहता है व एक अवधि के पश्चात् जलाशय में गिरता है। यात्रियों को जलाशय की मछलियों को खिलाने की...
सांवरियाजी मंदिर चित्तौड़गढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थानों में गिने जाते हैं। ये मंदिर सांवरियां जी को समर्पित हैं जो भगवान कृष्ण के अवतार हैं। ये मंदिर हिंदू भक्तों में, विशेष रूप से उत्तर भारत में बहुत पूजनीय है। इनमें से दो मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 76 पर स्थित है,...
कुंभा श्याम मंदिर भगवान विष्णू को समर्पित है, जो यहाँ वराह अवतार में पूजे जाते हैं (उनका शुकर अवतार)। इस मंदिर का निर्माण महाराणा संग्राम ने अपनी पुत्रवधू मीरा की विशेष विनती पर किया था। यह चित्तौड़गढ़ किले में स्थित कुंभा मंदिर के निकट स्थित है।
मंदिर की...
राणा कुम्भ महल एक ऐतिहासिक स्मारक है जहाँ राजपूत राजा महाराणा कुम्भ ने अपना शाही जीवन बिताया। यह शानदार किला 15 वीं शताब्दी में बना और यह भारत की बेहतरीन संरचनाओं में से एक है। यह राजपूत वास्तुकला का प्रतीक है और पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
ऐसा माना...
फट्टा का स्मारक फट्टा नाम के एक 16 वर्ष की आयु के बहादुर बच्चे को समर्पित है, जिसने चित्तौड़गढ़ के किले को बचाने के लिए शत्रु से लढते हुए अपना जीवन कुर्बान कर दिया। यह विधानसभा भवन के पास राम पोल के अंदर स्थित है। राम पोल चित्तौड़गढ़ किले का मुख्य प्रवेश द्वार है।...
तुलजा भवानी मन्दिर लगभग 1535 ई. में निर्मित एक प्राचीन मन्दिर है। यह चित्तौड़गढ़ किले के मुख्य द्वार राम पोल के पास स्थित है। यह मंदिर देवी तुलजा भवानी को समर्पित है व तुर्या भवानी के रूप में भी जाना जाता है । मंदिर की वास्तुकला उल्लेखनीय है, और मंदिर की दीवारें...
सीतामाता वन्यजीवन अभ्यारण्य अरावली के पहाड़ों और मालवा के पठार पर फैला हुआ है। यह अभ्यारण्य घने पर्णपाती वनों से से घिरा हुआ है, जो केवल एक अकेला ऐसा वन है जहाँ इतनी बड़ी संख्या में सागौन के वृक्ष हैं। इसके अल्वा यहाँ बाँस, साल, आँवला और बेल के वृक्ष भी है, लगभग आधे...
कीर्ति स्तंभ, जो ‘प्रसिद्धता का स्तंभ’ के नाम से भी जाना जाता है, एक 22 मीटर ऊँचा, सात मंजिला स्तंभ है। यह प्रथम जैन तीर्थंकर, आदिनाथ को समर्पित है। दीवारों पर सुंदर नक्काशी और गलियारों के साथ कीर्ति स्तंभ की वास्तुकला सोलंकी शैली की है। स्तंभ की...
महा सती एक पवित्र स्थल है जहाँ उदयपुर के शासकों का दाह संस्कार किया जाता था। इस स्थान का मुख्य आकर्षण गंगोदभव कुंड है जो एक प्राकृतिक जलाशय है और ऐसा माना जाता है कि यह गंगा नदी की एक सहायक नदी से बना है। यह भूमिगत उपनदी आह्ड नदी के रूप में उभर कर उपर आती है जिससे...
आठवीं सदी में निर्मित कालिका माता मंदिर क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। सिसोदिया राजवंश के राजा बप्पारावल ने एक सूर्य मंदिर के रूप में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। हालांकि चौदहवी शताब्दी में महाराणा हमीर सिंह ने मंदिर में कलिका माता की...