गोमुखकुंड, प्रसिद्द चितौड़गढ़ किले के पश्चिमी भाग में स्थित एक पवित्र जलाशय है। गोमुख का वास्तविक अर्थ ‘गाय का मुख’ होता है। पानी, चट्टानों की दरारों के बीच से बहता है व एक अवधि के पश्चात् जलाशय में गिरता है। यात्रियों को जलाशय की मछलियों को खिलाने की अनुमति है।
इस जलाशय के पास स्थित रानी बिंदर सुरंग भी एक विख्यात आकर्षण है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, यह सुरंग एक भूमिगत कक्ष की ओर जाती है, जहां चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी ने 'जौहर' किया था।