चुंगथांग, उत्तर सिक्किम जिले का एक छोटा सा शहर है। लाचुंग चू और लाचेन चू नदियों के संगम पर स्थित चुंगथांग घाटी, युमथांग के काफी करीब है। सिक्किम का यह छोटा सा शहर बहुत पवित्र माना जाता है। इस स्थान पर प्रसिद्ध संरक्षक संत गुरु पद्मसंभव का आशीर्वाद है। अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध चुंगथांग में कई प्रजाति के वनस्पति और जीव जन्तु पाए जाते हैं।
इतिहास
सिक्किम के इस छोटे से शहर, “चुंगथांग” का इतिहास बहुत दिलचस्प है। मान्यता है कि, यह स्थान गुरु पद्मसंभव के आशीर्वाद से समृद्ध है, साथ ही इसका इतिहास मिथकों और किंवदंतियों से जुडा हुआ है। किंवदंती है कि, विख्यात बौद्ध गुरु पद्मसंभव जब चुंगथांग की एक चट्टान पर विश्राम करने आए, तो उस चट्टान पर उनके पद चिन्हित हो गए।
ये पदचिन्ह इस चट्टान पर आज भी मौजूद है। साथ ही, इस चट्टान में एक छोटी सी दरार है, जहाँ से पानी का अनवरत प्रवाह है। चुंगथांग जैसे इस छोटे से शहर में धान की खेती की जाती है। वैसे तो धान की फसल चुंगथांग जैसे वातावरणीय क्षेत्र में नहीं होती, पर यहाँ इस खेती को होते देखना कोई चमत्कार से कम नहीं होगा।
इसके अलावा, चुंगथांग की एक और पौराणिक कथा भी, इसे पवित्र धार्मिक स्थान बनाती है। कहते हैं कि, जब गुरु नानक देव चीन और तिब्बत की यात्रा पर थे, तो थोडा सा आराम करने के लिए चुंगथांग में रुक गए। चुंगथांग का नाम पंजाबी के शब्द “चुंगा स्थान” को जोडने से बनता है, जिसका अर्थ है “अच्छा स्थान”, कहते हैं कि यह नाम खुद गुरु नानक देव ने इस स्थान को दिया है।
चुंगथांग का भूगोल
चुंगथांग सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 95 कि.मी की दूरी पर स्थित है। लग भग 1790 मीटर की ऊँचाई पर स्थित चुंगथांग उत्तर में 27.62 डिग्री और पूर्व में 88.63 डिग्री पर स्थित है।