बयालकुप्पे, भारत में दूसरा सबसे बड़ा तिब्बती स्थल है जिसका स्थान धर्मशाला के बाद आता है। यह कुशलनगर से 6 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां दो तिब्बती स्थल है जिनहे लुग्सम सामदुप्लिंग और डिकई लाओरसे के नाम से जाना जाता है। यह कृषि हेतू क्षेत्र भी है। इस स्थान पर कई शरणार्थी तिब्बती निवास करते है।
यहां तिब्बती मठ भी स्थित है। पर्यटक यहां आकर तिब्बत के सामान की खरीददारी भी कर सकते है।इस जगह का मुख्य आकर्षण, यहां स्थित गोल्डन मंदिर या नामोद्रोलिंग मठ है जिसे तिब्बती शैली में बनाया गया है, जो दक्षिण भारत में अनोखा लगता है। इस मठ में भगवान बुद्धख् पद्मसंभव और अमितायुस की 40 फीट ऊंची मूर्ति रखी हुई है।
यहां प्रार्थना ड्रम, प्रार्थना व्हील्स और दरवाजे भी बने है जो नक्काशीदार है। इस मठ की दीवारें पूरी तरह से तिब्बती शैली में बनी हुई है, यह तिब्बती थांगाका से भरी हुई है जो एक प्रकार की चित्रकारी होती है। इस मठ में भगवान बुद्ध के जीवन के कई दृश्यों को चित्रित किया गया है। इस स्थान पर बड़े शैक्षिक केंद्र सेरा, छोटे शैक्षिक केंद्र तासिलउनोपु मठ, सेरा मे और सेरा जे मठ आदि स्थित है। यहां कई बौद्ध यूनीवर्सिटी भी है जो तिब्बती बौद्ध धर्म की शिक्षा देते है।