ऐरावतेश्वर मंदिर दरासुरम का एक मुख्य आकर्षण है और भक्त यहाँ वर्ष भर आते हैं। पुराणों के अनुसार देवताओं के राजा इंद्र के सफ़ेद हाथी ऐरावत ने यहाँ भगवान शिव की पूजा की थी। दुर्वासा ऋषि द्वारा दिए गए श्राप से मुक्त होने के लिए ऐरावत ने भगवान शिव की आराधना की।
हिंदुओं में मृत्यु के देवता माने जाने वाले भगवान् यम ने भी इस मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी। इस मंदिर में भगवान शिव की ऐरावतेश्वर के रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर प्रारंभिक द्रविड़ वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर में पत्थरों पर सुंदर नक्काशी की गई है।
यह मंदिर गंगईकोंडाचोलापुरम मंदिर और बृहदीश्वर मंदिरों की तुलना में आकार में तो छोटा है पर विस्तार के संदर्भ में अधिक व्यापक है। इस मंदिर का गर्भगृह घोड़ों द्वारा खींचे जा रहे एक रथ के रूप में बनाया गया है। यदि आप दरासुरम आयें तो यह मंदिर अवश्य देखें।