नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, जिसे एनएसडी के रूप में बेहतर जाना जाता है, संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है। संगीत नाटक एकैडमी द्वारा सन् 1959 में स्थापित इस नाट्य प्रशिक्षण संस्थान को मानक विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है।
इस संस्थान में नाट्यकला के सभी बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुये छात्रों को सघन प्रशिक्षण दिया जाता है। अपने प्रशिक्षण के दौरान इस संस्थान के छात्रों को आम लोगों के सामने नाटकों के निर्माण से लेकर अभिनय तक की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिससे वे नाट्यकला की सभी विधाओं में पारंगत हो जाते हैं।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में रिपर्टरी कम्पनी और संस्कार रंग टोली या थियेटर-इन-एजुकेशन नामक दो भाग हैं। सन् 1964 में स्थापित रिपर्टरी कम्पनी निर्माण कार्य, त्योहारों के आयोजन और नये तथा पुराने नाटकों के मंचन का कार्य देखता है जबकि 1989 में स्थापित थियेटर-इन-एजुकेशन नाटककार से शिक्षक बने लोगों का दल है जोकि बच्चों के साथ और उन्हीं के लिये अभिनय करते हैं। यह कम्पनी सृजनात्मक नाटकों के निर्माण पर केन्द्रित रहती हैं जिनका मंचन विद्यालयों में विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के लिये किया जाता और जश्न-ए-बचपन और बाल संगम नामक दो वार्षिक नाट्य उत्सवों का आयोजन करता हैं।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की अपनी प्रकाशन इकाई भी है जिसमें नाट्यकला विषयक पर पुस्तकें प्रकाशित होती हैं और नाट्यकला पर प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तकों का अनुवाद भी प्रकाशित होता है। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के कई क्षेत्रीय साधन केन्द्र हैं जिनमें से सबसे पहला सन् 1994 में बैंग्लोर में स्थापित किया गया था।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले पूरे एशिया के सबसे बड़े वार्षिक राष्ट्रीय नाट्य उत्सव, भारत रंग महोत्सव के आयोजन के लिये भी जाना जाता है।