दिल्ली का पुराना किला एक रोचक पर्यटक स्थल है। दिल्ली के सभी किलों में सबसे पुराना होने के साथ-साथ यह दिल्ली की सभी संरचनाओं में भी सबसे पुराना भी है और यह इन्द्रप्रस्थ नामक स्थान पर स्थित है जो कि एक विख्यात शहर था।
किंवदन्तियों के अनुसार इस प्राचीन किले को यमुना नदी के किनारे पर पाँडवों द्वारा खोजा गया था जोकि 5000 साल से भी अधिक पुराना है और महाभारत काल से पूर्व बना था। शोधार्थियों ने इस बात की पुष्टि की है कि पुराना किला की चहार दीवारी के अन्दर इन्द्रप्रस्थ नाम का एक छोटा सा पुरवा था। ऐसा भी माना जाता है कि हुमायूँ की राजधानी दिन पनाह भी यहीं स्थित थी जिसे बाद में भारत के प्रथम अफगान शासक द्वारा जीर्णोद्धार करके शेरगढ़ नाम दिया गया। इसके साथ ही भारत के अन्तिम हिन्दू शासक सम्राट हेम चन्द्र विक्रमादित्य उर्फ हेमू द्वारा सन् 1556 ईस्वी में अकबर की सेनाओं को दिल्ली और आगरा में परास्त करने के बाद उनका राजतिलक इसी महल में हुआ था।
हलाँकि ऐसा माना जाता है यह किला हुमायूँ, शेरशाह और हेमचन्द्र जैसे शासकों, जिन्हों ने यहाँ से शासन किया, के लिये अशुभ था। पुराना किला के आस-पास कई रोचक इमारते हैं जिनमें शेरशाह द्वारा बनवाई किला-ए-कुह्ना मस्जिद, अष्टभुजाकार लाल बलुये पत्थर वाली दोमंजिला लाट शेर मण्डल, सम्राट अकबर को पालने वाली माँ महम अंगा द्वारा निर्मित मस्जिद कैरुल मंजिल और शेरगढ़ के लिये दक्षिणी दरवाजा शामिल हैं।
किले की मजबूत और मोटी दीवारों के तीन द्वारों पर दोनो तरफ बुर्ज हैं। ये दीवारें 18 मीटर ऊँची और डेढ़ किमी लम्बी हैं जिनपर तीन मेहराबयुक्त प्रवेशद्वार हैं जिन्हें पश्चिम में बड़ा दरवाजा, दक्षिण में हुमायूँ का दरवाजा और तालुकी द्वार हैं, जिसे निषेध द्वार भी कहते हैं। सभी तीन प्रवेशद्वार विशाल दोमंजिला संरचनायें हैं जिनके दोनो ओर बुर्ज होने के साथ-साथ बाल्कनी या झरोखा और सतम्भयुक्त मण्डप हैं।
वर्तमान में पुराना किला एक ऐसा स्थान हैं जहाँ हर शाम दिल्ली के इतिहास का एक दृश्य-श्रृव्य शो आयोजित किया जाता है।