राष्ट्रपति भवन भारत में मौजूद सबसे प्रतिष्ठित इमारतों के अलावा अपनी प्रभावशाली वास्तुकला के और भारत के राष्ट्रपति के सरकारी निवास स्थान के रूप में जाना जाता है।
ये इमारत तब अस्तित्व में आयी जब देश की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करा गया। इस संरचना का निर्माण ब्रिटिश वाइसराय को समायोजित करने के लिए किया गया था और इस प्रकार यह इमारत शाही मुगल वास्तुकला और सुरुचिपूर्ण के रूप में अच्छी तरह से यूरोपीय वास्तुकला का एक शास्त्रीय मिश्रण दर्शाती है। यह इमारत सांची के स्तूप से प्रेरित होने के अलावा एक सुन्दर गुम्बद लिए हुए है जिसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है । इस स्थान की ये विशेषता है की इसके गुम्बदों की कतार को काफी दूर से भी देखा जा सकता है।
राष्ट्रपति भवन का दरबार हॉल कला का एक सुन्दर नमूना है जिसे बहुत ही अच्छी तरह से रंगीन पत्थरों और सुन्दर रंगों से सजाया गया है । वहीँ दूसरी तरफ परिसर का अशोकन हॉल पूरी तरह फारसी शैली में निर्मित है जो अपने में रंगीन छत और फर्श पर लकड़ी पर करी गयी कारीगरी लिए हुए है। इस स्थान पर मौजूद सुन्दर छतों, खिड़कियां, छत्री , एक अलग तरह के सौंदर्य बोध का आभास कराती हैं जो किसी का भी मन मोह सकती हैं। ये स्थान कला का एक बहुत ही अनूठा उदाहरण है।
राष्ट्रपति एस्टेट में एक ड्राइंग रूम एक खाने के कमरे, एक बैंक्वेट हॉल, एक टेनिस कोर्ट, एक पोलो ग्राउंड और एक क्रिकेट का मैदान और एक संग्रहालय शामिल है जो इस स्थान के दूसरे आकर्षण हैं।
परिसर के पूरे ढांचे में 340 कमरे हैं और ये परिसर एक चार मंजिला ईमारत है। इस पूरे परिसर के निर्माण में कहीं भी स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है जो इस स्थान की एक अलग प्रकार की खासियत है । राष्ट्रपति भवन स्थित मंदिर की एक अन्य खासियत है जो इसे किसी भी दूसरे मंदिर से अलग करती है वो ये है की यहाँ बने मंदिर में हिन्दू धर्म के अलावा बौद्ध जैन धर्म की घंटियों का इस्तेमाल किया गया है जो अलग अलग संस्कृतियों को दर्शाती है।
यहाँ मौजूद मुगल गार्डन परिसर का एक अन्य आकर्षण है जो मुगल और ब्रिटिश शैली का एक अनूठा मिश्रण है। जो 13एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और जहाँ फूलों की कुछ विदेशी किस्में भी शामिल हैं। राष्ट्रपति भवन आने वाले पर्यटक के लिए एक बहुत ही उम्दा जगह है जो सही मायने में वास्तुकला की एक अनूठी मिसाल है।