यह किला 1057 में चंदेला के शाशक किर्तिवर्मन द्वारा बनाया गया था। हालांकि, कई ऐसा कहते हैं कि इसे काफी पहले 9वीं शताब्दी में कनौज के प्रतिहारा शाशकों द्वारा बनाया गया था जो बाद में चन्देला शाशकों के कब्ज़े में आ गया। इसे अंत में ग्वालियर के सिंदिया परिवार ने हाथ में लिया। इस किले में बाहरी दीवार है सिवाय पहाड़ की ढ़ाल के जो बेतवा नदी की तरफ होती है।
इसमें दो प्रवेश द्वार हैं जिसे 'हाथी दरवाज़ा' और 'दिल्ली दरवाज़ा' कहते हैं। किले के अन्दर और बाहर प्राचीन जैन मंदिर हैं जो भारतीय इतिहास के शुरूआती और मध्यकालीन काल के हैं। तीन महत्वपूर्ण घाट नहर घाट, राज घाट और घाट और सिद्धि की गुफा से होकर बेतवा नदी तक पहुंचा जा सकता है।