ओम पर्वत, 6191 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर्वत श्रृंखला के पहाड़ों में से एक है। इस पहाड़ को लिटिल कैलाश, आदि कैलाश, बाबा कैलाश और जोंगलिंगकोंग के नाम से भी जाना जाता है। इस पहाड़ी की एक खासियत ये है की यहाँ बर्फ के बीच आपको 'ओम' या 'ओम्' शब्द का पैटर्न मिलेगा कहा जाता है कि इसी कारण इस स्थान का नाम ओम पर्वत पड़ा। इन सब के अलावा ये चोटी हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध और जैन धर्म में भी विशेष धार्मिक महत्व रखती है।
ये स्थान भारतीय - तिब्बत सीमा के पास में स्थित है जो एक शानदार दृश्य प्रदान करता है। यहाँ आने वाले यात्री इस स्थान से अन्नपूर्णा की विशाल चोटियों को भी देख सकते हैं। आदि कैलाश यात्रा के दौरान यात्री इस जगह से काली नदी, घने जंगलों और नारायण आश्रम का सुन्दर दृश्य भी देख सकते हैं। यहाँ पड़ने वाले गौरी कुंड की भी अपनी एक अलग खासियत है बताया जाता है की अगर कोई इस कुंड को देखे तो उस व्यक्ति को उसमें विशाल हिमालय नज़र आता है।
अगर आप रोमांच के प्रेमी है और कुछ तूफानी करना चाहते हैं तो आप यहाँ आकर ट्रेकिंग का मज़ा ज़रूर लें। प्रेमियों के क्षेत्र में ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं, ट्रेकिंग की ये यात्रा तावाघाट पर खत्म होती है जो काली और धुली नदी का संगम स्थल है। अगर समय इजाजत दे तो यहाँ आने वाले यात्री जोंगलिंगकोंग अवश्य जाएं ये उतना ही पवित्र है जितना मानसरोवर। यहाँ से आप पार्वती मुहर की पहाड़ियों का भी आनंद ले सकते हैं जो बहुत सुन्दर है कहा जाता है की जब इस बर्फ पर धूप पड़ती है तो इसकी सुन्दरता ऐसी हो जाती है जो किसी का भी मन मोह सकती है।