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  • 01मणि महेश यात्रा

    मणि महेश यात्रा

    हिंदू धर्म में मणि महेश यात्रा हर साल अगस्‍त के महीने में शुरू की जाती है। इस यात्रा का आयोजन कैलाश यात्रा से पहले किया जाता है जिसमें दस हजार से ज्‍यादा तीर्थयात्री भाग लेते हैं। यह यात्रा सात दिन के लिए आयोजित की जाती है। 

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  • 02अलअलवानी मंदिर

    अलअलवानी मंदिर

    यह भद्रेवाह का पुराना मंदिर है जो एक भद्रेवाह की एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर यहां बजाए जाने वाले विशेष वाद्य यंत्र के कारण जाना जाता है। यह वाद्य यंत्र कॉपर की धातु से बना हुआ होता है। यहां भगवान कृष्‍ण के जन्‍म दिन यानि जन्‍माष्‍टमी को...

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  • 03सारतीगाल

    सारतीगाल

    भद्रेवाह के दक्षिण में स्थित खुबसूरत दृश्‍य वाला यह इलाका पर्यटकों को बेहद पसंद आता है। यहां कई पेड़ और पानी की धाराएं हैं। पास में ही कैलाश पर्वत और आशापति पहाड़ी भी स्थित हैं जो यहां के व्‍यू में चार चांद लगा देते हैं।  

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  • 04शीतला माता मंदिर

    शीतला माता मंदिर

    यह मंदिर हिंदू धर्म में पूज्‍यनीय देवी शीतला माता को स‍मर्पित है। शीतला माता को हिंदू धर्म में एक बीमारी का रूप माना  जाता है जिसे पढ़ी - लिखी भाषा स्‍मॉल चिकनपॉक्‍स कहते है। यह मंदिर यहां की छोटी सी पहाड़ी रेहोसरा में स्थित है।

    मंदिर...

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  • 05नाल्‍थी बस्‍ती

    नाल्‍थी बस्‍ती

    यह स्‍थल भद्रेवाह से 10 किमी. की दूरी पर स्थित है जहां हजारों पर्यटक ट्रैकिंग करने आते हैं और प्रकृति की गोद में कैम्‍प लगाकर थोड़ा समय बिताकर जाते हैं। यह पूरी जगह देवदार के घने जंगलों और जंगली फूलों से घिरा हुआ है। यहां कई घास के मैदान भी हैं। ट्रैकिंग...

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  • 06मेला पाट

    मेला पाट

    भद्रेवाह में आयोजित होने वाले मेलों में से मेला पाट की अनोखी शान है। मेला पट्ट को खख्‍कल में आयोजित किया जाता है। यहां के खख्‍कल स्‍थल का इतिहास 16 वीं सदी का है, उस दौरान महान मुगल शासक अकबर का शासन हुआ करता था। इस मेले की शुरूआत 16 वीं सदी में महान...

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  • 07नागनी माता मंदिर

    नागनी माता मंदिर

    यह मंदिर सापों के देवी को समर्पित है जो थुबू नाग की बहन थी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दूसरे माह यानि वैसाख माह में जो अप्रैल में पड़ता है, के दौरान यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है। यहां श्रद्धालुओं को फ्री भोजन खिलाया जाता है और साल में मंदिर खुले रहने तक...

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  • 08स्‍वर्ण बावली

    स्‍वर्ण बावली

    स्‍वर्ण बावली को गोल्‍डन स्प्रिंग के नाम से जाना जाता है जो आशापति चोटी की तलहटी में स्थित है। माना जाता है कि इस पानी के स्‍त्रोत में डुबकी लगाने से मनुष्‍य के सारे पाप धुल जाते हैं। अक्‍टूबर और नवंबर के महीने में नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं...

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  • 09सुब्र नाग मंदिर

    सुब्र नाग मंदिर

    यह मंदिर हिंदू धर्म के सुब्रनाग यानि शेषनाग भगवान को स‍मर्पित है। शेषनाग भगवान हिंदू धर्म के दिव्‍य स्‍वरूप वाले ईश्‍वर का रूप माने जाते है जो सुब्र धर में विश्राम की अवस्‍था में हैं। इस मंदिर के कपाट हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दूसरे माह यानि...

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  • 10भाल पाद्री

    भाल पाद्री

    यह पाद्री से 4 किमी. उत्‍तरपूर्व की दिशा में स्थित है। यह जगह बिल्‍कुल अलग और खास है जहां कई छोटी - छोटी घाटियां और दूध सी सफेद धाराएं कई जगहों से बहती हैं। 

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  • 11भद्रेवाह

    भद्रेवाह

    भद्रेवाह को छोटा कश्‍मीर के नाम से जाना जाता है, यह डोडा जिले का सबसे सुंदर क्षेत्र है जो किल्‍ला मोहल्‍ला से गुप्‍त गंगा और कब्रिस्‍तान से गाथा तक फैला हुआ है। भद्रेवाह बाटोटे से 80 किमी. की दूरी पर स्थित है, जो यहां का एक हिल टाउन है। इस...

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  • 12गुप्‍त गंगा मंदिर

    गुप्‍त गंगा मंदिर

    गुप्‍त गंगा मंदिर, डोडा का सबसे प्राचीन और विख्‍यात मंदिर है जो भद्रेवाह जिले के केंद्र में बना हुआ है। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के पांचों पांडव जो राजा पांडु के पुत्र थे, वह सभी लोग प्रवास के दौरान इस मंदिर में कुछ समय तक ठहरें थे।...

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  • 13छपरा पीक

    छपरा पीक

    डोडा जिले में स्थित छपरा पीक 5600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक लोकप्रिय गंतव्‍य है जिसे भाजुम नाला के नाम से भी जाना जाता है। यहां के शिखर ट्रैंकिग करने के लिए विश्‍व स्‍तर पर फेमस है। इस चोटी तक गलाहार, चिसशॉट, किश्‍तवार और अटोली से ट्रैकिंग करते हुए...

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  • 14सिओज मिआडो

    सिओज मिआडो

    इस जगह को भद्रेवाह के मुकुट का हीरा कहा जाता है जो साउथ हिस्‍से में कैलाश कुंड नामक जगह पर स्थित है। इस स्‍थल को सिओज धर के नाम से जाना जाता है। यहां का व्‍यू देखने में बहुत सुंदर लगता है। चारों तरफ बर्फ की फैली परत इस जगह को अधिक सुंदर बना देती है।...

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  • 15शांतान देहरा

    शांतान देहरा

    भारत के सबसे प्राचीन योद्धा जनजाति के दूसरे मुखिया वासुकी नाग ने अपने भाई, शांतान नाग की याद में इस मंदिर को बनवाया था। चारों तरफ देवदार के पेड़ो से घिरा यह मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है जो हिंदू धर्म के कई भगवानों को समर्पित है।

    कहा जाता है कि शांतान...

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