हिंदू धर्म में मणि महेश यात्रा हर साल अगस्त के महीने में शुरू की जाती है। इस यात्रा का आयोजन कैलाश यात्रा से पहले किया जाता है जिसमें दस हजार से ज्यादा तीर्थयात्री भाग लेते हैं। यह यात्रा सात दिन के लिए आयोजित की जाती है।
यह भद्रेवाह का पुराना मंदिर है जो एक भद्रेवाह की एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर यहां बजाए जाने वाले विशेष वाद्य यंत्र के कारण जाना जाता है। यह वाद्य यंत्र कॉपर की धातु से बना हुआ होता है। यहां भगवान कृष्ण के जन्म दिन यानि जन्माष्टमी को...
भद्रेवाह के दक्षिण में स्थित खुबसूरत दृश्य वाला यह इलाका पर्यटकों को बेहद पसंद आता है। यहां कई पेड़ और पानी की धाराएं हैं। पास में ही कैलाश पर्वत और आशापति पहाड़ी भी स्थित हैं जो यहां के व्यू में चार चांद लगा देते हैं।
यह मंदिर हिंदू धर्म में पूज्यनीय देवी शीतला माता को समर्पित है। शीतला माता को हिंदू धर्म में एक बीमारी का रूप माना जाता है जिसे पढ़ी - लिखी भाषा स्मॉल चिकनपॉक्स कहते है। यह मंदिर यहां की छोटी सी पहाड़ी रेहोसरा में स्थित है।
मंदिर...
यह स्थल भद्रेवाह से 10 किमी. की दूरी पर स्थित है जहां हजारों पर्यटक ट्रैकिंग करने आते हैं और प्रकृति की गोद में कैम्प लगाकर थोड़ा समय बिताकर जाते हैं। यह पूरी जगह देवदार के घने जंगलों और जंगली फूलों से घिरा हुआ है। यहां कई घास के मैदान भी हैं। ट्रैकिंग...
भद्रेवाह में आयोजित होने वाले मेलों में से मेला पाट की अनोखी शान है। मेला पट्ट को खख्कल में आयोजित किया जाता है। यहां के खख्कल स्थल का इतिहास 16 वीं सदी का है, उस दौरान महान मुगल शासक अकबर का शासन हुआ करता था। इस मेले की शुरूआत 16 वीं सदी में महान...
यह मंदिर सापों के देवी को समर्पित है जो थुबू नाग की बहन थी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दूसरे माह यानि वैसाख माह में जो अप्रैल में पड़ता है, के दौरान यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है। यहां श्रद्धालुओं को फ्री भोजन खिलाया जाता है और साल में मंदिर खुले रहने तक...
स्वर्ण बावली को गोल्डन स्प्रिंग के नाम से जाना जाता है जो आशापति चोटी की तलहटी में स्थित है। माना जाता है कि इस पानी के स्त्रोत में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। अक्टूबर और नवंबर के महीने में नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं...
यह मंदिर हिंदू धर्म के सुब्रनाग यानि शेषनाग भगवान को समर्पित है। शेषनाग भगवान हिंदू धर्म के दिव्य स्वरूप वाले ईश्वर का रूप माने जाते है जो सुब्र धर में विश्राम की अवस्था में हैं। इस मंदिर के कपाट हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दूसरे माह यानि...
यह पाद्री से 4 किमी. उत्तरपूर्व की दिशा में स्थित है। यह जगह बिल्कुल अलग और खास है जहां कई छोटी - छोटी घाटियां और दूध सी सफेद धाराएं कई जगहों से बहती हैं।
भद्रेवाह को छोटा कश्मीर के नाम से जाना जाता है, यह डोडा जिले का सबसे सुंदर क्षेत्र है जो किल्ला मोहल्ला से गुप्त गंगा और कब्रिस्तान से गाथा तक फैला हुआ है। भद्रेवाह बाटोटे से 80 किमी. की दूरी पर स्थित है, जो यहां का एक हिल टाउन है। इस...
गुप्त गंगा मंदिर, डोडा का सबसे प्राचीन और विख्यात मंदिर है जो भद्रेवाह जिले के केंद्र में बना हुआ है। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के पांचों पांडव जो राजा पांडु के पुत्र थे, वह सभी लोग प्रवास के दौरान इस मंदिर में कुछ समय तक ठहरें थे।...
डोडा जिले में स्थित छपरा पीक 5600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक लोकप्रिय गंतव्य है जिसे भाजुम नाला के नाम से भी जाना जाता है। यहां के शिखर ट्रैंकिग करने के लिए विश्व स्तर पर फेमस है। इस चोटी तक गलाहार, चिसशॉट, किश्तवार और अटोली से ट्रैकिंग करते हुए...
इस जगह को भद्रेवाह के मुकुट का हीरा कहा जाता है जो साउथ हिस्से में कैलाश कुंड नामक जगह पर स्थित है। इस स्थल को सिओज धर के नाम से जाना जाता है। यहां का व्यू देखने में बहुत सुंदर लगता है। चारों तरफ बर्फ की फैली परत इस जगह को अधिक सुंदर बना देती है।...
भारत के सबसे प्राचीन योद्धा जनजाति के दूसरे मुखिया वासुकी नाग ने अपने भाई, शांतान नाग की याद में इस मंदिर को बनवाया था। चारों तरफ देवदार के पेड़ो से घिरा यह मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है जो हिंदू धर्म के कई भगवानों को समर्पित है।
कहा जाता है कि शांतान...