गुफा 13 - यह गुफा ज्यादा महत्व नहीं रखती है।
गुफा 14 - रावण की खाई इस गुफा के नाम से प्रसिद्ध इस गुफा की व्युत्पत्ति का कारण अभी भी ज्ञात नहीं किया जा सका है। इस गुफा में विशाल आंगन के साथ एक मंदिर भी है जिसमें चारों तरफ चलने के लिए एक मार्ग भी बना हुआ है। मंदिर की दीवारों पर वैष्णव धर्म के भगवानों के चित्र बने हुए है।
गुफा 15 - पत्थरों की नक़्क़ाशीदार वाली इस गुफा में विष्णु भगवान के दस अवतारों के प्रतीक बने हुए है। इसमें शासन करने वाले राजवशों को भी दर्शाया गया है जोकि इतिहास को बताती है।
गुफा 16 - यह एलोरा की सबसे बड़ी गुफा है जिसे सबसे ज्यादा खुदाई किया गया है। इसका नाम कैलाश है। यहां के मंदिर में विशाल और भव्य नक़्क़ाशी है जोकि कैलाश के स्वामी शिव को समर्पित है। यह मंदिर वीरूपक्ष मंदिर से प्रेरित होकर चालुक्य राजवंश के दौरान बनाया गया था। अन्य गुफाओं की तरह इसमें भी प्रवेश द्धार, मंडप, मूर्तियां है।
गुफा 21- इस गुफा को रामेश्वरा गुफा कहा जाता है। इसमें हिन्दू देवी- देवताओं के चित्र लगे हुए है। यहां की नक्काशी मन लुभा लेने वाली होती है। मुख्यत: शिव भगवान की पूजा यहां होती है। गुफा की दीवारों पर देवी गंगा और यमुना के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की शादी के सुंदर चित्र लगे हुए है।
गुफा 29 - इसे दुमार लेना कहा जाता है जो कि सीता की नहानी में स्थित है। यहां एक अलग से मंदिर बना हुआ है जिसमें एक बड़ा सा लिंग स्थापित है। यह गुफा मुम्बई में स्थित एलिफेंटा की गुफाओं के जैसे दिखतीं है।