पत्थर के स्तंभ को उर्दू में लैट कहते हैं। वास्तव में फतेहाबाद के इस पत्थर के स्तंभ को सम्राट अशोक द्वारा हरियाणा के हांसी या अग्रोह में बनवाया गया था। इसे सम्राट अशोक का कीर्ति स्तंभ भी कहा जाता था। इस बुलंद स्तंभ को फिरोज शाह तुगलक ने ध्वस्त किया तथा देश के अन्य मुस्लिम शासकों की परंपरा का अनुगमन करते हुए जो हिंदू स्मारकों की चीज़ों का इस्तेमाल मस्जिदों और मुसलमान संरचनाओं के निर्माण में करते हैं और स्वयं अपने नाम की स्तुति करते हैं।
फिरोज शाह तुगलक स्तंभ का निचला हिस्सा फतेहाबाद ले आए और यहां इसका प्रयोग एक और लैट के निर्माण में किया। इन्होंने स्तंभ पर से अशोक की मूल शिलालेखों को मिटाया और अपने परिवार के इतिहास की बड़ाई करते हुए अरबी लिपि में खुदवाया।
वे इसका ऊपरी भाग हिसार ले गए जहां इसका इस्तेमाल एक मस्जिद में किया गया। यह लैट 15.6 फीट ऊंचा है और 6 फीट के आधार में फिरोज शाह तुगलक के फतेहाबाद किले की ईदगाह या मस्जिद में स्थापित किया गया है।