1571 और 1583 के बीच मुगल सम्राट अकबर द्वारा 16वीं सदी के दौरान निर्मित यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल, उत्तर प्रदेश में आगरा के पास स्थित फतेहपुर सीकरी मुगल संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक है। इस जगह पर संत शेख सलीम चिश्ती ने अकबर के बेटे के जन्म की भविष्यवाणी की थी। इसका लेआउट ओर योजना भारतीय नगर नियोजन की अवधारणा से प्रभावित थी जो शाहजहानाबाद(पुरानी दिल्ली) में अधिक प्रदर्शित है।
फतेहपुर सीकरी में ओर आसपास के पर्यटन स्थल
यहाँ पाए जाने वाले प्रसिद्ध स्मारक लाल बलुआ पत्थर से निर्मित हैं ओर इनकी वास्तुकला में हिंदू, फारसी तथा भारत-मुस्लिम परंपराओं का प्रतिबिंब है। कुछ अन्य महत्वपूर्ण इमारतों में से एक है दीवान-ए-आम, अथवा सार्वजनिक दर्शकों का हाॅल जिसमें बरामदों की एक श्रंख्ला है जहाँ अकबर न्याय करता था। दीवान-ए-आम से दौलत खाना अथवा इम्पीरियल पेलेस के दृश्य दिखाई देते हैं। इसके बाद बौद्ध मंदिरों की शैली को परिलक्षित करता और धंसी हुई चार मंजि़लों वाला रंच महल, जोधा बाई का महल, अनूप तलाओं का पेवेलियन अथवा तुर्की सुल्तान तथा बीरबल का महल है।
फतेहपुर सीकरी में कुछ धार्मिक स्मारक भी हैं जिनमें महान मस्जिद, जामा मस्जिद शामिल है जिसे समर्पित शिलालेखों के अनुसार मक्का के समान दर्जा प्राप्त है। इस मकबरें में शेख सलीम की कब्र है जो एक अद्भुत कलाकृति है और बाद में जहाँगीर द्वारा इसे अलंकृत किया गया था। इसके अलावा 1572 में गुजरात पर अकबर की जीत के उपलक्ष्य में बना बुलंद दरवाज़ा उल्लेखनीय है। अन्य महतवपूर्ण स्मारकों में इबादत खाना, अनूप तलाओ और मरियम-उज़-ज़मानी पैलेस शामिल हैं।
फतेहपुर सीकरी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में 1585 में अकबर ने अफगान जनजातियों से लड़ने के लिए इस जगह को छोड़ दिया दिया था तथा उसके बाद 1619 में फतेहपुर सीकरी केवल एकबार तीन महीनों के लिए मुगल न्यायालय बना जब सम्राट जहाँगीर ने आगरा में प्लेग फैलने पर यहाँ षरण ली थी। यह जगह फिर से छोड़ दी गई और 1892 में फिर से खोजी गई थी। हालांकि, इसके अस्तित्व के 14 सालों के दौरान कई महलों, सार्वजनिक भवनों ओर मस्जिदों के रूप में इसने शक्तिशाली प्रदर्षन किया था। यह राजाओं की सेनाओं और सेवकों तथा अस्तित्वहीन आबादी का निवास स्थान भी था।
इस शहर के केवल एक छोटे से हिस्से की खुदाई की गई है। यह पता चला है कि इमारतों का अधिकांश भाग अच्छी तरह से संरक्षित हालत में है। यह शहर चट्टानी पठार पर एक कृत्रिम झील के पास विशेष रूप से अवसरों के लिए बनाया गया है। 6कि.मी. लंबी दीवार से बंधे इस शहर में भारी टावरें और सात गेट हैं जिनमें से सबसे अधिक संरक्षित आगरा का गेट है।
आज, फतेहपुर सीकरी एक भूतिया षहर है लेकिन इसके स्मारक अच्छी तरह से संरक्षित हैं। शहर का अन्वेषण करने पर बीते युग की भव्यता की कल्पना करना आसान हो जाता है।
कैसे पहुँचे फतेहपुर सीकरी
फतेहपुर सीकरी रेल और सड़कमार्ग से भली प्रकार से जुड़ा है। इसका निकटतम हवाईअड्डा आगरा में है।
फतेहपुर सीकरी की यात्रा का सबसे अच्छा समय
फतेहपुर सीकरी की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवंबर और अप्रैल के बीच का होता है।