राष्ट्रीय शहीद स्मारक, फिरोजपुर में भारत - पाक बॉर्डर से कुछ किमी. की दूरी पर स्थित है, जिसे 1968 में सतलज नदी के तट पर बनवाया गया था। यहीं पर क्रांतिकारियों - भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को सजा से ठीक एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया गया था।
इन शहीदों के शवों को जेल से बाहर चुपचाप तरीके से ब्रिटिशों के द्वारा लाया गया, लाहौर के नागरिकों की आंशका और शक से बचने के लिए इन लोगों का गुप्त अंतिम संस्कार कर दिया गया था। बी. के दत्त का भी उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार,यहीं अंतिम संस्कार किया गया था।
1971 में हुए, भारत - पाक युद्ध के दौरान, पाकिस्तानी सैनिकों ने इन स्मारकों से भारतीय सैनिकों की प्रतिमाओं को हटा दिया था। हालांकि, इन्हे बाद में 1973 में पंजाब के मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने बनवा दिया था। हर साल हजारों पर्यटक, 23 मार्च के दिन यहां सैर के लिए आते है और यहां होने वाले शहीदा मेले में भाग लेते है जिसे स्वतंत्रता सेनानियों की याद में आयोजित किया जाता है।