11 वीं सदी में निर्मित, वीरनारायण मंदिर गडग में स्थित सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह महा विष्णु या नारायण को समर्पित है, मंदिर में उपस्थित मूर्ति देवता के योद्धा प्रपत्र को प्रदर्शित करता है। धोती पहने वीरनारायण की एक प्रतिमा, में वो अपने चार हाथों में चक्र, शंख, गधा और पद्म को धारण किये हुए युद्ध के लिए तैयार रहने की स्थिति में हैं।
पर्यटक मुख्य देवता के दोनों किनारों पर लक्ष्मी और गरूड़ की छोटी मूर्तियों को भी देख सकते हैं। उन सभी पर्यटकों यहां जाने की सलाह दी जाती है, जो इस मंदिर के इतिहास और धर्म की ओर झुकाव रखते हैं। माना जाता है कि यह मंदिर पंच नारायण क्षेत्रों में से एक है और इसका निर्माण 1117 ई. में होयसल राजा बिट्टीदेवा ने कराया था।
राजा ने यह मंदिर बनवाया और अपना नाम बदलकर विष्णुवर्धन रख लिया और श्री रामानुजचार्य से प्रभावित होकर अपना धर्म जैन धर्म से बदलकर वैष्णव धर्म अपना लिया। कहा जाता है कि कुमार व्यास ने इस मंदिर में कन्नड़ भाषा में महाभारत लिखी थी।वीरनारायण मंदिर में विभिन्न प्रकार की वास्तुकला की शैलियां प्रदर्शित हैं, जैसे चालुक्य होयसला और विजयनगर।
मंदिर का प्रवेश द्वार जो रंगा मंडप की ओर जाता है, वह विजयनगर शैली में बना है, वहीं गरुड़ स्तंभ होयसल शैली को दर्शाता है। अंदर मंडप, गर्भगृह और मुख्य टॉवर वास्तुकला की चालुक्य शैली को दर्शाते हैं।