गिरनार हिंदू और जैन धर्मावलंबियों दोनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। वास्तव में गिरनार पहाड़ियों का एक समूह है, जिसे गिरनार हिल्स के नाम से जाना जाता है। गिरनार का उल्लेख वेदों के साथ-साथ सिंधू घाटी सभ्यता के लेखों में भी मिलता है। यह इस बात का प्रमाण है कि प्रचीन समय से ही इस स्थान को पवित्र माना जाता रहा है।
हिंदू और जैन मंदिर
गिरनार पर्वत श्रृंखला में पांच चोटियां हैं और यहां कई हिंदू और जैन मंदिर हैं। इन मंदिरों तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को एक लंबी यात्रा करनी पड़ती है। यहां के जैन मंदिरों में तीर्थंकर नेमिनाथ मंदिर, मल्लिनाथ मंदिर, ऋषभदेव मंदिर और पार्श्वनाथ मंदिर प्रमुख है। वहीं हिंदू मंदिरों में भवनाथ महादेव मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, अंबा माता मंदिर, कालीका मंदिर, रामचंद्र मंदिर, जटाशंकर महादेव मंदिर और गोमुखी गंगा मंदिर यहां स्थित है। इसके अलावा गिरनार हिल्स के पश्चिमी किनारे पर पवित्र हनुमान धारा भी है।
गिरनार की पांच चोटियां
अगर गिरनार की पांच चोटियों के क्रम की बात करें तो पहली चोटी पर नेमिनाथ मंदिर है और उसके बाद अंबा माता मंदिर है। दूसरी चोटी को गुरू गोरखनाथ चोटी और तीसरी चोटी को औघड़ चोटी के नाम से जाना जाता है। इसके बाद दत्तात्रेय मंदिर की चोटी और फिर कालीका मंदिर की चोटी है।
गिरनार के आसपास के पर्यटन स्थल
यहां गिरनार के जंगल में गिर नेशनल पार्क है। अगर आप गिरनार हिल्स घूमने जा रहे हैं तो यहां जरूर जाएं।
गिरनार का मौसम
गर्मी के दौरान सुबह में मौसम में काफी नमी रहती है। हालांकि दोपहर का समय मौसम काफी गर्म हो जाता है। गर्मी से बचने के लिए बेहतर होगा कि आप सुबह में ही पहाड़ों की चढ़ाई शुरू कर दें। सितंबर से नवंबर और फरवरी का समय चढ़ाई के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस दौरान मौसम काफी खुशनुमा होता है। दिसंबर के दौरान यहां तीर्थ स्थल पर सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती है।
कैसे पहुंचें
गिरनार हिल्स जूनागढ़ के पास स्थित है और यहां ट्रेन व राज्य परिवहन की बसों द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा आप यहां से 40 किमी दूर स्थित केशोड़ एयरपोर्ट और 100 किमी दूर राजकोट एयरपोर्ट से भी पहुंचा जा सकता है। गिरनार हिल्स तीर्थस्थल होने के साथ-साथ वन्यजीव अभ्यारण्य भी है। इस विविधता के कारण यह पर्यटन का एक बेहतरीन स्थान बन जाता है।