धर्मग्रन्थ के अनुसार एक बार राधा रानी और गोपियाँ मानसी गंगा के किनारे अपने प्यारे कृष्ण को मिलने के लिए इंतज़ार कर रही थी। जब काफी देर तक वह नहीं आये तो उन्होंने हरदेव का नाम जपना शुरू कर दिया ताकि भगवान उनकी आवाज़ सुनकर प्रकट हों। उनके प्यार ने कृष्ण के मन को छू लिया और वह उनके सामने एक सात साल के सुन्दर बच्चे के रूप में प्रकट हुए जिसने बायें हाथ में गोवर्धन घाटी और दायें हाथ में बांसुरी पकड़ी थी।
इसको देखकर राधा रानी और गोपियाँ इतनी खुश हुईं कि वह उस जगह रोज़ आने लगीं और भक्तिमय गाना गाने लगीं। ऐसा माना जाता है कि वास्तव में हरदेव मंदिर कृष्ण के पोते ने बनवाया था।
आज का हरदेव मंदिर जयपुर के राजा भगनदास ने 16वीं शताब्दी में शहंशाह अकबर के शाशन काल में बनवाया था। श्रद्धालु मानसी गंगा में नहाते हैं और मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा कर भगवान हरदेव के दर्शन कर उनके आशीर्वाद लेते हैं।