गुरदासपुर का नाम गुरिया जी के नाम पर रखा गया है जिन्होंने इस शहर की 17वीं सदी में स्थापना की थी। यह पंजाब राज्य में रावी और सतलज नदियों के बीच बसा एक लोकप्रिय शहर है। शहर के लोगों द्वारा ज्यादातर पंजाबी भाषा का प्रयोग किया जाता है लेकिन आधिकारिक उपयोग में हिन्दी और अंग्रेजी भाषायें प्रयुक्त होती हैं। गुरदासपुर पर्यटन एक रंगबिरंगी पंजाबी संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है जिसमें दैवीय गुरुद्वारे, भाँगड़ा (पंजाबी लोकनृत्य), पारम्परिक पगड़ी, परान्दा (चोटी में प्रयुक्त) और लजीज पंजाबी पकवान शामिल हैं।
गुरदासपुर और इसके पास के पर्यटक स्थल
गरदासपुर पर्यटन के अन्तर्गत कई आकर्षण हैं जो पर्यटकों को कई दिनों तक व्यस्त रखते हैं। गुरदासपुर के कुछ प्रमुख आकर्षणों में डेरा बाबा नानक, गुरदास नंगल, महाकालेश्वर मन्दिर, माधोपुर, शाहपुर कण्डी किला, मछली पार्क, अचलेश्वर मन्दिर, चोला साहिब और थाडा साहिब गुरुद्वारे शामिल हैं। कीर्तन स्थान वह स्थान है जहाँ गुरूनानक देव जी के पोते बाबा धरमचन्द के भोग समारोह में सिक्खों के पाँचवे गुरू श्री गुरू अर्जुन देवजी ने मन्त्रों (गत आत्मा के लिये गुरु ग्रन्थ साहिब का पाठ) का जाप किया।
गुरदासपुर के आसपास डलहौजी, धर्मशाला और मक्लाएडगंज जैसे कई रोचक पर्यटक आकर्षण है जहाँ तक गुरदासपुर से मात्र दो घण्टे की यात्रा द्वारा पहुँचा जा सकता है।
गुरदासपुर के रोचक पर्व और समारोह
दुनियाभर से आने वाले पर्यटकों को व्यस्त रखने के लिये गुरदासपुर में कई मेलों और पर्वों का आयोजन किया जाता है। सबसे बड़े आयोजनों में हर वर्ष आयोजित होने वाला सिक्खों के प्रथम गुरू, गुरू नानक जी का विवाह समारोह शामिल है। कुछ अन्य महत्वपूर्ण समारोहों में पण्डोरी महान्तन पर होने वाली बैसाखी, लोहड़ी, बाबेहाली का छींज मेला और शिवरात्रि मेला प्रमुख हैं।
गुरदासपुर कैसे पहुँचें
गुरदासपुर पहुँचना बहुत आसान है क्योंकि यह पंजाब और आसपास के राज्यों के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है। जालन्धर, डलहौजी, बाटला, पटनीटॉप और नईदिल्ली जैसे स्थानों से नियमित बसे सेवायें उपलब्ध हैं।
गुरदासपुर आने का सबसे अच्छा समय
गुरदासपुर में झुलसाने वाली गर्मी, शीतल मॉनसून और ठंडी सर्दियाँ पड़ती हैं। इस शहर में आने का सबसे बेहतर मौसम मॉनसून के बाद से सर्दियों तक (अक्तूबर से मार्च) का है।