श्री हरगोविन्दपुर से 10 किमी की दूरी पर स्थित घोमान में श्री नामदेव दरबार स्थित है। यह धार्मिक स्थान बाबा नामदेव से जुड़ा है जिन्हें इस स्थान का संस्थापक माना जाता है। लोककथाओं के अनुसार उन्होंने यहाँ पर 17 वर्षों तक साधना की।
गुरू नामदेव जी अपने चमत्कारी...
पंजाब के गुरदासपुर जिले में स्थित सारजी साहिब में बाबा अजीत रंधावा का कुँआ बनाया गया था जो अब बावली की तरह है। ऐसा माना जाता है कि गुरूनानक देव जी सारजी साहिब में साधना किया करते थे और इस कुँएं के पास अपने अनुयायियों को प्रवचन देते थे। इसी स्थान पर बाबा अजीत...
मछली पार्क गुरदासपुर के मुख्य शहर में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। पहले इसका उपयोग मछलियों के चारे के भण्डार के रूप में किया जाता था। पार्क के बीच में स्थित एक मछली की बड़ी मूर्ति के कारण इस स्थान को मछली पार्क कहा जाता है। यह स्थान टहलने और आराम करने के लिये...
जैसा कि नाम से प्रतीत होता है तख्त-ए-अकबरी वही स्थान है जहाँ पर पिता की मृत्यु के बाद अकबर का राज्याभिषेक हुआ था। यह समारोह 14 फरवरी 1556 को हुआ था जब अकबर 13 साल के थे। पिता की मृत्यु के समय अकबर के साथ उनके गुरू बैरम खाँ मौजूद थे। वे गुरदासपुर जिले के कालनौर में...
रथम सिक्ख गुरू श्री गुरू नानक देव जी का याद में बनाया गया डेरा बाबा नानक गुरदासपुर के पश्चिम में 45 किमी की दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि वे यहाँ 12 साल तक रहे। मक्का जाने पर उनको दिये गये कपड़े यहाँ संरक्षित हैं। माघी के अवसर पर जनवरी के दूसरे सप्ताह में यहाँ...
कबूतरी दरवाजा पुराने गुरदासपुर बाज़ार का भाग है। यह स्थान अपने कई स्वादिष्ट पकावानों के लिये जाना जाता है जिसमें मिठाइयाँ भी शामिल हैं। पर्यटक यहाँ तक टैक्सियों और ऑटो-रिक्शा द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं।
महाकालेश्वर मन्दिर एक अनोखा धार्मिक आकर्षण है क्योंकि यह भारत का अकेला शिव मन्दिर है जहाँ का शिवलिंग लेटा हुआ है। यह मन्दिर गुरदासपुर से 23 किमी की दूरी पर स्थित कालनौर कस्बे में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे दिल से आने वाले भक्तों की मनोकामनाओं को भगवान शिव...
गुरूद्वारा श्री दरबार साहिब गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक में स्थित है। इसे प्रथम सिक्ख गुरू श्री गुरू नानक देव जी के याद में बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि 1515 में अपने पहले प्रवचन या उडासी से लौटने के बाद श्री गुरूनानक देव जी यहाँ आये थे। गुरूजी अपने परिवार...
भगवान कार्तिक को समर्पित अचलेश्वर मन्दिर गुरूद्वारा क्षी अचल साहिब के दूसरी ओर स्थित है। यह नाम कार्तिकेय से लिया गया है जिसका अर्थ होता है, खुशी और शक्ति के प्रदाता। वे देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं और मुरुगन के नाम से भी जाने जाते हैं। परिसर में स्थित...
गुरदासपुर से 6 किमी की दूरी पर स्थित गुरदास नंगल एक पुराना गाँव है। यह स्थान बंदा सिंह बहादुर और मुगलों के बीच आखिरी युद्ध से जुड़ा हुआ है। गुरदास नंगल विशाल दीवारों से घिरा है जहाँ सिक्खों से शरण ली थी। इस स्थान तक टैक्सियों, बसों और ऑटोरिक्शा द्वारा आसानी से...
थाडा साहिब ही वह स्थान है जहाँ 1515 में उडासी या अपने पहले प्रवचन से लौटने के बाद श्री गुरू नानक देव जी ने बाबा अजीत रंधावा के कुछ महत्वपूर्ण विचार विमर्श किया था।
गुरूद्वारा थेह गढ़ी बाबा बन्दा सिंह बहादुर, जिसे गुरूद्वारा भाई धुनी चन्द हवेली के नाम से भी जाना जाता है, गुरदासपुर के पश्चिम में 7 किमी की दूरी पर स्थित है। इस गुरूद्वारे को मुगलों के खिलाफ युद्ध में शहीद हुये सिक्खों के सम्मान में बनवाया गया था।
गुरदासपुर से 36 किमी की दूरी पर डेरा बाबा नानक में स्थित गुरूद्वारा चोला साहिब को श्री गुरू नानक देव जी की याद में बनवाया गया था जिन्होंनें यहाँ 12 वर्ष बिताये थे। गरुद्वारे के अन्दर बालख बुखारा (बगदाद) से बाबा काबली मल जी द्वारा लाये गये गुरूनानक जी के कपड़े...