रथम सिक्ख गुरू श्री गुरू नानक देव जी का याद में बनाया गया डेरा बाबा नानक गुरदासपुर के पश्चिम में 45 किमी की दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि वे यहाँ 12 साल तक रहे। मक्का जाने पर उनको दिये गये कपड़े यहाँ संरक्षित हैं। माघी के अवसर पर जनवरी के दूसरे सप्ताह में यहाँ भारी संख्या में श्रृद्धालु आते हैं।
इसके नजदीक ही गुरूद्वारा तहली साहिब स्थित है। यह स्थान भारत-पाक सीमा के निकट रावी नदी के बाँयीं तट पर स्थित है। गुरू जी यहीं रहे और शहर के डेरा बाबा नानक के सामने ही नश्वर अंशों को त्यागा था और इस स्थान का नाम उन्होंने करतारपुर रखा जिसे बाद में पाकिस्तान द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया था।
श्री गुरूनानक के अनुयायियों ने एक नये शहर का निर्माण किया और उसे डेरा बाबा नानक नाम दिया। करतारपुर गुरूद्वारा डेरा बाबा नानक से दिखाई देता है।