हाथी का शिविर जिसको पुन्नाथुर कोट्टा भी कहते हैं यह गुरुवायुरप्पन मंदिर से 3 किमी की दूरी स्थित है। यह हाथी का शिविर भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा है और यह पुन्नाथुर के राजाओं का हुआ करता था। अभयारण्य 10 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है जो लगभग 60 हाथियों को आश्रय देता है।
इस शिविर के हाथियों को गुरुवायुरप्पन मंदिर के लिए तीर्थयात्रियों द्वारा दिए गए प्रसाद मन जाता है। प्रसिद्ध तुस्केर्स गुरूवायूर पद्मनाभन और गुरूवायूर केशवन इस हाथी अभयारण्य के उत्पादों रहे हैं। यह प्रसिद्ध हाथी एक बड़ी भीड़ को आकर्षित करते हैं। वे त्योहारों और जुलूस के दौरान देवताओं लाने लेजाने में मंदिरों की सेवा करते हैं।
इसके अलावा, शिविर के हाथि, मंदिर के अधिकारियों द्वारा आयोजित दौड़ में भी भाग लेता है। इस दौड़ को अनायोत्तम कहा जाता है, जो उस हाथी के चयन के लिए होती है जिसको गुरुवायुरप्पन की मूर्ति को ले जाने का विशेषाधिकार प्राप्त होगा। हाथी दौड़ बड़ी मनोरंजक होती है और यह कई पर्यटकों को अपनी ऒर खींचती है।