धोपारगुरी सत्रा का निर्माण संत माधवदेवा ने किया था, जो श्रीमंता शंकरदेवा के सबसे बड़े शिष्य थे। श्रीमंता शंकरदेवा ने ही असम में वैष्णव धर्म का प्रचार किया और इसे असमी संस्कृति के चेहरे के रुप में माना जाता है। धोपारगुरी सत्रा का निर्माण वर्ष 1587 में किया गया था।
पहले इस सत्रा में केवल 3 ही कमरे थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, इस धोपारगुरी सत्रा में कुछ और कमरे बनाए गए हैं। आज इस सत्रा में गेक्रणा, विक्राणा और स्वर्गद्वार जैसे कई पवित्र स्थल हैं। ये सत्र असमियों के लिए केवल धार्मिक स्थान के रुप में ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक संस्थाओं के रुप में भी कार्य करते हैं, जो पूरे असम में देखे जा सकते हैं। असम के इस हिस्से में, धोपारगुरी सत्रा सबसे प्रतिष्ठित सत्रा है।
हर साल पूरे असम से और देश के अन्य हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालू धोपारगुरी सत्रा के दर्शन करने आते हैं। यह हाजो का एक मात्र ऐसा धार्मिक आकर्षण है जो श्रीमंता शंकरदेवा संत द्वारा सिखाया गया वैष्णव धर्म का अनुगमन करता है।