उद्दन वीरभद्र मंदिर एक देखने योग्य स्थान है और यहां भगवान उद्दन वीरभद्र की 3.6 मीटर ऊंची अखंड़ मूर्ति प्रतिष्ठापित है, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना गया है। इस मूर्ति के चार हाथ हैं तथा मूर्ति अपने प्रत्येक हाथ में एक तलवार, धनुष, तीर और ढाल पकड़े हुए है। इस...
कमलापुरा का पुरातत्व संग्रहालय, पर्यटकों द्वारा मुख्य रुप से इसलिए देखा जाता है क्योंकि यहां स्थित हम्पी के दो प्रतिरुप विस्तार से इस क्षेत्र के तलरुप को प्रदर्शित करते हैं। इन प्रतिरुपों के माध्य से सैलानियों को इस क्षेत्र के विभिन्न आकर्षणों को जानने का मौका...
आनेगुंड़ी गांव, हम्पी से लगभग 10 किलोमीटर दूर तुंगभद्रा नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है। यह विजयनगर साम्राज्य की क्षेत्रीय राजधानी हुआ करती थी, कन्नड़ में इसका अर्थ है हाथियों का गड्ढा। यह क्षेत्र हम्पी से भी पुराना है, रामायण के अनुसार इसे सुग्रीव (वानर राजा)...
तुलाभार या पुरुशादन के रुप में भी जाना जाने वाला प्रसिद्ध किंग्ज़ बेलेंस, विजयविट्ठल मंदिर की दक्षिण पश्चिम दिशा में स्थित है। इस स्थान का नाम किंग्ज़ बेलेंस इसलिए रखा गया क्योंकि यहां के राजा स्वयं को अनाज, सोना, चांदी, जवाहरात और अन्य तरह की कीमती वस्तुओं के साथ...
बड़व लिंग, एक 9 फुट ऊंचा मंदिर, लक्ष्मी नरसिंह मंदिर के निकट स्थित है। बड़व लिंग का एक अनोखा तथ्य यह है कि इस संरचना के आसपास एक प्राचीन नहर का पानी नित्य बहता है। इस अखंड़ लिंग पर तीन आंखें उत्कीर्ण हैं, जो भगवान शिव की तीनों आंखों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
...श्री लक्ष्मी नरसिंह मंदिर यात्रियों के बीच, नरसिंह भगवान (भगवान विष्णु के अवतार) की 6.7 मीटर ऊंची पत्थर की मूर्ति के लिए लोकप्रिय है। इस मूर्ति में नरसिंह आदिशेष (सात सरों वाले नाग) की शय्या पर बैठे हैं। इस मंदिर में पाए गए शिलालेखों से प्राप्त जानकारी के अनुसार,...
हम्पी की यात्रा की योजना बनाने वाले यात्रियों को हेमकूट पर्वत की तलहटी पर स्थित ससिवेकलु गणेश मंदिर के दर्शन जरुर करने चाहिए। यह मंदिर, सरसों के बीजों से मेल खाती गणेश की 8 फुट ऊंची मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। सरसों के बीजों के साथ बनती इसकी समानता के कारण, स्थानीय...
येडूरु बसवान्ना भगवान शिव की सवारी नंदी की एक अखंड़ मूर्ति है, जो हम्पी बाजार की पूर्वी दिशा में स्थित है। यह नंदी के स्थानीय नाम पर नामांकित है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण है और अपने विशाल अनुरुप के कारण कई सैलानियों को आकर्षित करता है। हालांकि यह एक विकृत...
महाकाव्य रामायण में किए गए वर्णन अनुसार, अंजनियाद्री पहाड़ियों को भगवान हनुमान का जन्म स्थान माना जाता है। यह खूबसूरत हनुमान मंदिर वानर देवता के सम्मान में बनाया गया था। यह मंदिर अंजनियाद्री पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है। इस हनुमान मंदिर तक पहुंचने के लिए...
अगर समय हो, तो सैलानी जनानखाने के बाहर स्थित हाथियों के अस्तबल (जो हाथियों के क्वार्टर के रूप में जाना जाता है) को भी देख सकते हैं। यह प्राचीन स्मारक इस क्षेत्र के शासकों के हाथियों के लिए एक विश्राम स्थल के रूप में कार्य करता था। हम्पी की सभी नगरी संरचनाओं में...
यंत्रोधारक अंजनिय के नाम से भी जाना जाने वाला यंत्रोधारक अंजनिय मंदिर, हम्पी के सबसे पवित्र स्थानों में से एक के रुप में माना जाता है। यह मंदिर भगवान हनुमान या अंजनिय को समर्पित है और कोदंड़ा राम मंदिर के पीछे स्थित है। इस स्थान पर भगवान हनुमान की मूर्ति एक ताबीज...
तुंगभद्रा नदी दक्षिण भारतीय प्रायद्वीप की एक पवित्र नदी है जो कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश में बहती है। हम्पी तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। इस नदी का जन्म तुंगा और भद्रा नदियों के मिलन से होता है, जो इसे तुंगभद्रा नदी का नाम देती हैं। इस तुंगभद्रा नदी...
हम्पी की सैर करने आए यात्री भगवान शिव(प्रसन्ना वीरूपाक्ष) को समर्पित भूमिगत मंदिर को देखना ना भूलें। इस मंदिर को जमीन स्तर के तले बनाया गया है और मंदिर का मुख्य क्षेत्र तथा पवित्र स्थान ज्यादातर समय पानी के नीचे ही रहता है। मंदिर के भीतरी क्षेत्र के प्रवेश पर...
कमल महल (जनानखाना का एक हिस्सा है) अपनी भारतीय-इस्लामी स्थापत्य शैली के लिए जाना जाता है। यह हजारा राम मंदिर के पास स्थित एक लोकप्रिय महल है। इस महल का नाम कमल महल इसलिए रखा गया क्योंकि इसकी मेहराबदार राह कमल के फूल की पंखुड़ियों की तरह बनी है।
कमल महल और...